




भारत की डिफेंस डिप्लोमेसी ने एक और अहम पड़ाव पार कर लिया है। फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का आखिरी बैच सौंप दिया गया है। इसके साथ ही भारत और वियतनाम के बीच एक नया ब्रह्मोस मिसाइल डील भी पक्का हो गया है। यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती सामरिक ताकत को दर्शाता है।
🔹 फिलीपींस डील का पूरा हुआ पहला चरण
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भारत और फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस डील 2022 में हुई थी, जिसकी कीमत करीब 375 मिलियन डॉलर थी।
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अब तक कई खेप भेजी जा चुकी थीं और ताज़ा खेप के साथ यह अनुबंध पूरा हो गया है।
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फिलीपींस अपनी नौसेना को मजबूत करने के लिए ब्रह्मोस का उपयोग कोस्टल डिफेंस सिस्टम के तौर पर करेगा।
🔹 वियतनाम के साथ नई डील
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भारत ने अब वियतनाम के साथ भी ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की डील पक्की कर ली है।
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हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी कीमत का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन यह सौदा अरबों डॉलर का बताया जा रहा है।
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वियतनाम लंबे समय से दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता का सामना कर रहा है और ब्रह्मोस उसे रणनीतिक सुरक्षा देगा।
🔹 ब्रह्मोस क्यों है खास?
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ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है।
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इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक और गति माक 2.8 से माक 3 तक है।
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यह जमीन, समुद्र और हवाई प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है।
🔹 भारत की डिफेंस डिप्लोमेसी
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फिलीपींस और वियतनाम दोनों देश ASEAN क्षेत्र में भारत के रणनीतिक साझेदार हैं।
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ब्रह्मोस डील को भारत की Act East Policy और Make in India in Defence की बड़ी सफलता माना जा रहा है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, इन डील्स से न सिर्फ भारत की सैन्य छवि मजबूत होगी बल्कि डिफेंस एक्सपोर्ट्स में भी तेजी आएगी।
🔹 चीन पर असर
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चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी बढ़ती मौजूदगी को लेकर पड़ोसी देशों के साथ लगातार टकराव में है।
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भारत का ब्रह्मोस डील चीन के लिए सीधा संदेश है कि भारत अब सिर्फ रक्षा आयातक नहीं, बल्कि रक्षा निर्यातक शक्ति है।
फिलीपींस को आखिरी ब्रह्मोस बैच की डिलीवरी और वियतनाम के साथ नई डील ने साबित कर दिया है कि भारत की रक्षा तकनीक और कूटनीति अब वैश्विक स्तर पर असर डाल रही है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में भारत की बड़ी भूमिका का संकेत है।