




राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में अपने ताज़ा भाषण में भारत की आर्थिक नीतियों, वैश्विक चुनौतियों और अमेरिका-भारत संबंधों पर खुलकर विचार रखे। भागवत ने खासतौर पर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को “आत्मनिर्भर और संतुलित आर्थिक नीति” अपनानी होगी।
🔹 ट्रंप टैरिफ और भारत
भागवत ने कहा कि अमेरिका की सुरक्षा और व्यापार नीतियाँ अब सीधे भारत को प्रभावित करती हैं।
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ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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उन्होंने जोर दिया कि भारत को इन दबावों के बीच अपनी आर्थिक संप्रभुता बनाए रखनी होगी।
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भागवत का कहना था कि “भारत का व्यापार सिर्फ लाभ के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन और मानवता के हित में होना चाहिए।”
🔹 आत्मनिर्भर भारत पर बल
अपने भाषण में भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत नीति को दोहराते हुए कहा कि भारत को उत्पादन, तकनीक और कृषि में मजबूत होना ही होगा।
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उन्होंने कहा कि “विदेशी दबाव और आयात पर निर्भरता हमें कमजोर बना सकती है।”
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छोटे उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने पर भी उन्होंने खास ज़ोर दिया।
🔹 सामाजिक एकता और वैश्विक जिम्मेदारी
भागवत ने कहा कि भारत सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए संतुलनकारी शक्ति है।
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उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे टेक्नोलॉजी, शिक्षा और नैतिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ें।
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भाषण में यह भी कहा गया कि सामाजिक विभाजन और आंतरिक कलह भारत को कमजोर कर सकते हैं।
🔹 अमेरिका-भारत संबंधों पर टिप्पणी
भागवत ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन भारत को हमेशा अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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उन्होंने यह भी कहा कि बदलते वैश्विक हालात में भारत को सिर्फ पश्चिम पर निर्भर रहने की बजाय बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा।
नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत का यह भाषण सिर्फ संगठनात्मक विचारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें भारत की आर्थिक और विदेश नीति की दिशा पर भी गहरा संदेश था। उन्होंने ट्रंप टैरिफ के संदर्भ में स्पष्ट किया कि आने वाले समय में भारत को और अधिक आर्थिक आत्मनिर्भरता और रणनीतिक संतुलन की आवश्यकता होगी।