




तमिलनाडु के वरिष्ठ मंत्री और डीएमके नेता दुर्गई मुरुगन ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा बयान देते हुए कहा कि “तमिलनाडु बिहार नहीं है”। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
🔹 बयान का संदर्भ
मुरुगन ने कहा कि तमिलनाडु की राजनीति, सामाजिक ढांचा और विकास का मॉडल पूरी तरह बिहार से अलग है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डीएमके की सरकार ने राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई ऐसे कदम उठाए हैं, जो तमिलनाडु को अन्य राज्यों से अलग पहचान देते हैं।
🔹 विपक्ष का हमला
एआईएडीएमके और भाजपा ने इस बयान को लेकर मुरुगन और डीएमके पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि ऐसे बयान देकर डीएमके क्षेत्रीय अहंकार को हवा दे रही है और बिहार जैसे राज्यों का अपमान कर रही है।
🔹 चुनावी समीकरण
तमिलनाडु में अगले विधानसभा चुनाव से पहले यह बयान चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया है। विश्लेषकों का मानना है कि डीएमके नेतृत्व राज्य की क्षेत्रीय पहचान और गर्व को भुनाने की रणनीति अपना रहा है। वहीं, विपक्ष इस बयान का इस्तेमाल डीएमके की कथित अहंकारी छवि दिखाने में कर सकता है।
🔹 जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कई लोग इसे तमिलनाडु की उपलब्धियों पर गर्व जताने वाला बयान मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे अनावश्यक तुलना और दूसरे राज्यों का अपमान बता रहे हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले दुर्गई मुरुगन का “तमिलनाडु बिहार नहीं है” वाला बयान राजनीतिक हलचल तेज कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी माहौल में डीएमके इस बयान से कैसे लाभ उठाती है और विपक्ष इसे किस तरह मुद्दा बनाता है।