




भारत और यूरोपियन यूनियन (EU) के बीच व्यापारिक संबंधों को नई दिशा देने वाला यह समझौता 20 साल से लंबित है। दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें काफी तेजी देखी गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल के अंत तक इस ट्रेड डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
भारत और ईयू के बीच व्यापारिक समझौते की चर्चा लगभग दो दशकों से चल रही है। शुरुआत में विभिन्न नीतिगत, औद्योगिक और कानूनी जटिलताओं के कारण समझौता नहीं हो सका। दोनों पक्ष समय-समय पर नए प्रस्ताव और संशोधन लेकर वार्ता करते रहे। हाल के वर्षों में भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार और ईयू के निवेश हितों की प्राथमिकताओं में बदलाव ने बातचीत में गति लाई है।
इस समझौते के लागू होने से भारत और यूरोपियन यूनियन दोनों के लिए व्यापारिक अवसर बढ़ेंगे। भारत को यूरोप में अपनी निर्यात वस्तुओं, जैसे आईटी सेवा, कृषि उत्पाद और औद्योगिक सामग्री का लाभ मिलेगा। वहीं, ईयू देशों को भारत के बड़े बाजार में अपनी तकनीकी और निवेश परियोजनाओं का विस्तार करने का अवसर मिलेगा।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचाएगी। भारत के निर्यात में वृद्धि होगी और विदेशी निवेश आकर्षित होगा। साथ ही, यूरोपीय कंपनियों को भारत के बाजार में प्रवेश आसान होगा। इससे रोजगार सृजन और तकनीकी सहयोग भी बढ़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, डील में मुख्य रूप से टैरिफ में कटौती, निवेश सुरक्षा, सेवाओं का खुलापन और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देने पर सहमति व्यक्त की है।
इस साल के अंत तक डील को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। दोनों पक्ष उच्चस्तरीय वार्ता और तकनीकी समीक्षा के बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं। भारत की सरकार और ईयू प्रतिनिधिमंडल इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।
भारत-ईयू व्यापार डील का वैश्विक स्तर पर भी महत्व है। यह समझौता न केवल दोनों पक्षों के बीच व्यापार बढ़ाएगा, बल्कि एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग के नए मॉडल की शुरुआत कर सकता है। निवेशक और कंपनियां इस डील से जुड़े नए अवसरों की ओर ध्यान दे रही हैं।
20 साल लंबी बातचीत के बाद यह डील अंतिम चरण में पहुंचना दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण अवसर है। व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में यह समझौता भविष्य में नए अवसरों के द्वार खोलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील भारत और यूरोपियन यूनियन के संबंधों में नई ऊर्जा और स्थिरता लाएगी।