




सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने “सिर्फ रीट्वीट नहीं किया, बल्कि उसमें तड़का भी लगाया।” यह टिप्पणी 2021 के किसान आंदोलन से जुड़ी उनकी विवादित टिप्पणी से संबंधित है।
कंगना रनौत ने 2021 में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने एक महिला प्रदर्शनकारी को “शाहीन बाग की दादी” बताया और यह आरोप लगाया कि उसे प्रदर्शन में भाग लेने के लिए ₹100 दिए गए थे। इस ट्वीट के बाद, पंजाब के बठिंडा जिले की 73 वर्षीय महिला महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कंगना के वकील से कहा, “आपने केवल रीट्वीट नहीं किया, बल्कि उसमें तड़का भी लगाया।” अदालत ने यह भी कहा कि कंगना का यह कृत्य “साधारण रीट्वीट” से कहीं अधिक था और यह मानहानि के मामले में विचारणीय है।
कंगना ने इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने कंगना की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि महिला के खिलाफ मानहानि का मामला वैध है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कंगना की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला विचारणीय है और इसमें कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
अब इस मामले की सुनवाई बठिंडा की अदालत में होगी, जहां कंगना को समन जारी किया गया है। अदालत में यह तय किया जाएगा कि कंगना के ट्वीट में महिला की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है या नहीं।
कंगना रनौत ने अपने ट्वीट को “सिर्फ एक रीट्वीट” बताया था और उन्होंने किसी भी गलत इरादे से ट्वीट करने की बात से इनकार किया था। उनका कहना था कि उन्होंने किसी को जानबूझकर अपमानित नहीं किया।
यह मामला सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों की कानूनी जिम्मेदारी और सार्वजनिक व्यक्तित्व की भूमिका पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी यह स्पष्ट करती है कि सार्वजनिक व्यक्तित्व को अपनी टिप्पणियों के प्रति अधिक सतर्क और जिम्मेदार होना चाहिए।