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भारत में वाहन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अक्सर देखा गया है कि नई कारों और बाइकों की लॉन्चिंग निर्धारित समय पर नहीं हो पाती। एक नए अध्ययन के अनुसार, इसके पीछे कई गहरे और संरचनात्मक कारण हैं। यह न सिर्फ वाहन निर्माताओं के लिए बल्कि ग्राहकों और निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
🔹 मुख्य कारण: उत्पादन और सप्लाई चेन
सबसे बड़ा कारण है उत्पादन और सप्लाई चेन की समस्याएँ।
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नई कार या बाइक का उत्पादन कई चरणों में होता है, जिसमें विभिन्न हिस्सों का निर्माण, असेंबलिंग और क्वालिटी चेक शामिल है।
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किसी भी स्टेज पर देरी पूरे लॉन्च शेड्यूल को प्रभावित कर सकती है।
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खासकर सेमीकंडक्टर चिप्स और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की कमी पिछले कुछ वर्षों में कई वाहनों की लॉन्चिंग देरी का प्रमुख कारण रही है।
🔹 नियामक और लाइसेंसिंग चुनौतियाँ
भारत में वाहनों को लॉन्च करने से पहले सरकारी अनुमोदन और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
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भारत में एमिशन स्टैंडर्ड (BS-VI/BS-VII) और सुरक्षा मानकों के तहत टेस्टिंग की आवश्यकता होती है।
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नियामक औपचारिकताएँ और मानकों में बदलाव वाहन लॉन्च की समय-सीमा को प्रभावित करते हैं।
🔹 मार्केटिंग और रणनीति कारक
कंपनियाँ कभी-कभी जानबूझकर लॉन्च को आगे बढ़ा देती हैं।
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यह बिक्री, प्रचार अभियान और प्रतियोगियों के लॉन्च को ध्यान में रखकर किया जाता है।
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कई बार कंपनियाँ अपने प्रोडक्ट को मौसमी मांग या त्योहारों के समय पर लॉन्च करना चाहती हैं, जिससे डेडलाइन मिस हो जाती है।
🔹 तकनीकी जटिलताएँ और R&D देरी
आज के वाहन सिर्फ इंजन और बॉडी तक सीमित नहीं हैं।
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इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) और हाई-टेक कारों में सॉफ्टवेयर, बैटरी, और AI-सिस्टम की टेस्टिंग शामिल है।
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नई तकनीक की जटिलताएँ और सुधार प्रक्रिया समय लेती है, जिससे निर्धारित लॉन्च डेट से चूक होती है।
🔹 अध्ययन के निष्कर्ष
हाल ही में किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि भारत में लगभग 60% वाहन लॉन्च प्रारंभिक समय से पीछे हो जाते हैं।
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मुख्य वजह: उत्पादन देरी, सप्लाई चेन रुकावट, नियामक प्रक्रिया, और मार्केट रणनीति।
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विशेषज्ञ कहते हैं कि कंपनियों को बेहतर प्लानिंग, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन मैनेजमेंट अपनाना चाहिए।
🔹 ग्राहकों और निवेशकों पर प्रभाव
डेडलाइन मिस होने से ग्राहकों और निवेशकों में निराशा होती है।
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ग्राहकों को नई कार के इंतजार में समय और पैसा दोनों खर्च करना पड़ता है।
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निवेशकों के लिए यह कंपनी की ऑपरेशन और लॉजिस्टिक दक्षता पर सवाल उठाता है।
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कई बार प्रतियोगी कंपनियाँ इस मौके का फायदा उठाकर मार्केट शेयर बढ़ा लेती हैं।
भारत में वाहन लॉन्च की देरी कोई नई बात नहीं है।
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उत्पादन और सप्लाई चेन, तकनीकी जटिलताएँ, नियामक प्रक्रियाएँ और मार्केट रणनीति मिलकर इसे प्रभावित करती हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर प्रबंधन और डिजिटलाइजेशन से कंपनियाँ समय पर लॉन्च कर सकती हैं।
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भविष्य में ग्राहक और निवेशक भी इन चुनौतियों को ध्यान में रखकर अपने निर्णय ले सकते हैं।








