




नाशिक शहर में सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए दो अवैध कॉल सेंटर्स का भंडाफोड़ किया है। ये कॉल सेंटर्स लंबे समय से विदेशी नागरिकों को धोखा देकर मोटी रकम ऐंठने का काम कर रहे थे। सीबीआई की इस रेड से पूरे शहर में हड़कंप मच गया है।
जांच में सामने आया कि इन कॉल सेंटर्स के कर्मचारी खुद को सरकारी अधिकारी, बीमा एजेंट या वित्तीय सलाहकार बताकर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे। फोन पर वे लोगों को डराते या झांसा देते कि अगर उन्होंने बताए गए निर्देशों का पालन नहीं किया तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। इस तरह वे लोगों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कराकर लाखों रुपये ठग लेते थे।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, दोनों कॉल सेंटर्स में करीब 60 लोग कार्यरत थे। इनमें ज्यादातर युवा थे जिन्हें आकर्षक वेतन और कमीशन का लालच देकर जोड़ा गया था। इन्हें स्क्रिप्ट दी जाती थी और विदेशी नागरिकों को कॉल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।
कार्रवाई के दौरान सीबीआई को बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज़, मोबाइल फोन, कंप्यूटर सिस्टम और लैपटॉप मिले हैं। इसके अलावा लगभग ₹5 लाख नकद भी बरामद किया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इन कॉल सेंटर्स का नेटवर्क केवल नाशिक तक सीमित नहीं था बल्कि इसकी डोरें अन्य राज्यों और संभवतः विदेशों तक भी फैली हुई थीं।
सीबीआई ने इस मामले में दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं क्योंकि जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है।
जांचकर्ताओं के मुताबिक, यह कॉल सेंटर गैंग एक संगठित अपराध सिंडिकेट की तरह काम करता था। कॉल सेंटर्स के जरिए रोजाना सैकड़ों कॉल विदेशों में किए जाते थे। फर्जी पहचान और नकली आईडी का इस्तेमाल कर बैंक खातों में रकम मंगवाई जाती थी और फिर उसे हवाला नेटवर्क के जरिए आगे भेज दिया जाता था।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि साइबर अपराध किस तेजी से बढ़ रहा है। भारत जैसे देश में, जहां आईटी और कॉल सेंटर इंडस्ट्री बेहद बड़ी है, वहीं कुछ लोग इसका दुरुपयोग करके अपराध को अंजाम देते हैं। इससे न केवल निर्दोष लोग शिकार बनते हैं बल्कि देश की अंतरराष्ट्रीय छवि भी धूमिल होती है।
इस ऑपरेशन में सीबीआई के साथ-साथ स्थानीय पुलिस की भी अहम भूमिका रही। गुप्त सूचना के आधार पर कई दिनों तक रेकी की गई और फिर अचानक छापा मारकर दोनों कॉल सेंटर्स को सील कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल जब्त की गई हार्ड डिस्क और दस्तावेजों की जांच जारी है।
नाशिक आमतौर पर धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से यहां साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा बेरोजगारी और आसान पैसे की चाह इस तरह के अपराधों की सबसे बड़ी वजह है।
यह मामला प्रशासन और कानून-व्यवस्था के लिए भी एक चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे अवैध कॉल सेंटर्स तभी फलते-फूलते हैं जब उन पर लगातार निगरानी नहीं रखी जाती। इसलिए, जरूरत है कि आईटी सेक्टर में काम करने वाले संगठनों की नियमित जांच हो और युवाओं को इस तरह की गतिविधियों से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
नाशिक में सीबीआई की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपराध चाहे कितना भी संगठित क्यों न हो, कानून से बच पाना आसान नहीं है। विदेशी नागरिकों को धोखा देने का यह घोटाला देश की छवि को नुकसान पहुंचा सकता था, लेकिन समय रहते इसका भंडाफोड़ होना बड़ी राहत है।