




भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका निभा रही है डेटा सेंटर इंडस्ट्री। देश में डेटा सेंटर की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर ई-कॉमर्स, बैंकिंग, आईटी और क्लाउड सेवाओं के विस्तार के कारण। इस तेजी को और गति देने के लिए सरकार अब डेटा सेंटर डेवलपर्स को 20 साल तक टैक्स में छूट देने की योजना बना रही है।
साल 2027 तक भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री की कुल कैपेसिटी 1,825 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। यह विकास केवल निवेशकों के लिए अवसर नहीं बल्कि रोजगार और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार का भी संकेत है।
डेटा सेंटर आधुनिक डिजिटल इकोनॉमी का आधार हैं। इनके बिना क्लाउड सेवाएं, डिजिटल पेमेंट सिस्टम, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन व्यवसाय सुचारू रूप से नहीं चल सकते।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में डेटा सेंटर की क्षमता बढ़ाने से न केवल डिजिटल सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि यह विदेशी निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को भी आकर्षित करेगा।
सरकारी योजना और टैक्स में छूट:
सरकार की योजना के अनुसार, नए डेटा सेंटर डेवलपर्स और मौजूदा कंपनियों को 20 साल तक टैक्स में छूट दी जा सकती है। इसमें शामिल हैं:
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आयकर छूट: डेटा सेंटर के मुनाफे पर कोई आयकर नहीं लगेगा।
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कंपनी टैक्स में रियायत: कंपनी के लाभांश और आय पर टैक्स-मुक्ति।
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R&D में निवेश पर इंसेंटिव: डेटा सेंटर टेक्नोलॉजी और नवाचार में निवेश करने वाली कंपनियों को अतिरिक्त कर लाभ।
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इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को बढ़ावा: हाई-कैपेसिटी डेटा सेंटर बनाने के लिए निवेशकों को फाइनेंशियल इंसेंटिव।
इस पहल का उद्देश्य भारत को डेटा सेंटर निर्माण और संचालन में वैश्विक हब बनाना है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम डेटा सेंटर इंडस्ट्री में विदेशी निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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फाइनेंशियल विशेषज्ञ: इस नीति से भारत में बड़े डेटा सेंटर बनाने के लिए पूंजी निवेश बढ़ेगा।
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टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ: उच्च कैपेसिटी डेटा सेंटर से क्लाउड सेवाओं की क्षमता बढ़ेगी और डिजिटल इंडिया की पहल को गति मिलेगी।
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आर्थिक विश्लेषक: लंबे समय तक टैक्स-मुक्ति से भारत में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
भारत में डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण डेटा सेंटर की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। ई-कॉमर्स कंपनियों को तेजी से डेटा स्टोर और प्रोसेस करने की जरूरत है। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में डिजिटल ट्रांजेक्शन और डेटा सुरक्षा बढ़ाने के लिए आधुनिक डेटा सेंटर की आवश्यकता है। क्लाउड और स्ट्रीमिंग सेवाओं के विस्तार ने डेटा सेंटर की मांग को और बढ़ा दिया है। सरकार का अनुमान है कि साल 2027 तक डेटा सेंटर इंडस्ट्री की कुल कैपेसिटी 1,825 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।
भारत, अमेरिका, सिंगापुर और यूरोप जैसे देशों के साथ डेटा सेंटर निर्माण में प्रतिस्पर्धा कर रहा है। टैक्स-मुक्ति की योजना से भारत वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बन सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति भारत को डिजिटल हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे देश में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और तकनीकी उन्नति को गति मिलेगी।
लाभ और संभावित प्रभाव:
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निवेश में वृद्धि: डेटा सेंटर निर्माण और संचालन में निवेश बढ़ेगा।
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रोजगार सृजन: निर्माण, प्रबंधन और टेक्नोलॉजी सपोर्ट में लाखों नौकरियों के अवसर।
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टेक्नोलॉजी और नवाचार: उच्च क्षमता वाले डेटा सेंटर से क्लाउड और डिजिटल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।
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डिजिटल इंडिया को मजबूती: डिजिटल अर्थव्यवस्था और कैशलेस लेनदेन में वृद्धि।
सरकार की यह पहल डेटा सेंटर इंडस्ट्री में निवेश को प्रोत्साहित करेगी और भारत को वैश्विक डिजिटल हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। 20 साल तक टैक्स-मुक्ति से निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक अवसर है।