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    महाराष्ट्र में बांधों की सुरक्षा के लिए नई तकनीक: सेस्मोग्राफ की जगह अब ‘Strong Motion Accelerographs

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    महाराष्ट्र राज्य में जल संसाधन विभाग ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि राज्य में स्थापित लगभग 30 सेस्मोग्राफ में से 28 अब कार्यशील नहीं हैं। ये सेस्मोग्राफ उपकरण ज़मीन में हल्के कंपन (जैसे भूकंप की हल्की हलचल) को मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जो बांधों की संरचनात्मक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन उपकरणों के खराब होने से बांधों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।

    सेस्मोग्राफ़ एक भूकंपीय उपकरण है जो ज़मीन में होने वाली हलचल को मापता है। महाराष्ट्र में स्थापित इन उपकरणों का मुख्य उद्देश्य बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, ताकि किसी भी संभावित भूकंपीय गतिविधि के प्रभाव को समय रहते पहचाना जा सके। लेकिन अब अधिकांश सेस्मोग्राफ कार्यशील नहीं हैं, जिससे बांधों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

    जल संसाधन विभाग ने सेस्मोग्राफ की जगह अब नई तकनीक—Strong Motion Accelerographs—को अपनाने का निर्णय लिया है। यह तकनीक अधिक सटीक और विश्वसनीय है, जो भूकंपीय गतिविधियों का सही समय पर और सटीकता से पता लगाने में सक्षम है। इसके माध्यम से बांधों की संरचनात्मक सुरक्षा की बेहतर निगरानी की जा सकेगी।

    जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में सेस्मोग्राफ की मरम्मत और रखरखाव की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके साथ ही, नई तकनीक की स्थापना के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। विभाग ने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में सभी बांधों में Strong Motion Accelerographs स्थापित कर दिए जाएंगे, ताकि किसी भी भूकंपीय गतिविधि का सटीक पता चल सके।

    भूकंपीय विशेषज्ञों का मानना है कि Strong Motion Accelerographs की स्थापना से बांधों की सुरक्षा में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह तकनीक भूकंपीय गतिविधियों का सटीक मापन करने में सक्षम है, जिससे बांधों की संरचनात्मक स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सकेगा। इसके अलावा, यह तकनीक भविष्य में संभावित खतरों से निपटने के लिए भी सहायक होगी।

    विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय रहते भूकंपीय गतिविधियों का पता नहीं चलता, तो बांधों की संरचनाओं पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनमें दरारें या अन्य संरचनात्मक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इससे न केवल बांधों की सुरक्षा पर खतरा होगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, नई तकनीक की स्थापना और पुराने उपकरणों की मरम्मत अत्यंत आवश्यक है।

    इस मुद्दे पर जनता की जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। स्थानीय निवासियों को बांधों की सुरक्षा के महत्व के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि वे किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना संबंधित अधिकारियों को दे सकें। इसके अलावा, बांधों के आसपास के क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण और निगरानी की प्रक्रिया को भी सुदृढ़ किया जाना चाहिए।

    महाराष्ट्र में बांधों की सुरक्षा के लिए सेस्मोग्राफ की कार्यशीलता और नई तकनीक की आवश्यकता स्पष्ट हो गई है। जल संसाधन विभाग द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन इन कदमों को प्रभावी बनाने के लिए सभी संबंधित पक्षों का सहयोग आवश्यक है। केवल सरकारी प्रयासों से ही बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती; इसके लिए जनता, विशेषज्ञों और स्थानीय अधिकारियों का संयुक्त प्रयास आवश्यक है।

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