




जयपुर के शहीद स्मारक पर अनशन पर बैठे नरेश मीणा ने एक बार फिर अपनी विवादास्पद गतिविधियों से सुर्खियां बटोरी हैं। झालावाड़ स्कूल हादसे के पीड़ित बच्चों को 1 करोड़ रुपये मुआवजा और रोजगार की मांग को लेकर नरेश मीणा आंदोलन तेज कर रहे हैं। अनशन के दौरान और उससे पहले उन्होंने अपने ही समर्थकों को थप्पड़ मारे, जिसके बाद उन्होंने कहा, “यह मेरा स्टाइल है।”
नरेश मीणा ने जयपुर के शहीद स्मारक से मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि इस कदम से सरकार पर दबाव बढ़ेगा और पीड़ित बच्चों के परिवारों को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनकी मांग बिल्कुल न्यायसंगत है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जहालावाड़ स्कूल हादसे में कई बच्चों की जान चली गई थी, जिससे समाज और सरकार में व्यापक आक्रोश पैदा हुआ। नरेश मीणा ने इस घटना को लेकर लगातार आवाज उठाई है और अब उन्होंने आंदोलन को और तेज कर दिया है। उनका लक्ष्य है कि हादसे के पीड़ित बच्चों के परिवारों को उचित मुआवजा और स्थायी रोजगार मिले।
नरेश मीणा ने कहा, “हम सिर्फ मुआवजा नहीं चाहते, बल्कि पीड़ित परिवारों के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। इसके लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे।”
अदालत या प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अक्सर नाटकीय रूप लेते हैं, लेकिन नरेश मीणा ने अपने ही समर्थकों को थप्पड़ मारकर चर्चा में खुद को केंद्रित कर लिया। उन्होंने इसे लेकर स्पष्ट कहा कि यह उनका “स्टाइल” है। इस घटना ने नरेश मीणा की कार्यशैली और उनके आंदोलन के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नरेश मीणा का यह कदम विवादित और अनोखा है। जबकि उनका उद्देश्य पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों के हित में है, उनके आक्रामक और अप्रत्याशित व्यवहार ने मीडिया और जनता का ध्यान खींचा है।
समाज और राजनीतिक दिग्गजों ने नरेश मीणा के इस कदम पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने उनके साहस और पीड़ित बच्चों के हित के लिए उठाए गए कदम की सराहना की, जबकि कई ने उनके अपने समर्थकों पर हमला करने और अनशन के दौरान प्रदर्शन के तरीके को अनुचित माना।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नरेश मीणा का आंदोलन सरकार के लिए चुनौती बन सकता है, खासकर तब जब जनता और मीडिया इस मुद्दे को लेकर काफी संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निवास तक कूच करना नरेश मीणा की रणनीति का हिस्सा है ताकि प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके।
नरेश मीणा ने आंदोलन की रणनीति के तहत अनशन, धरना और मार्च जैसी गतिविधियों का सहारा लिया है। उनका कहना है कि वह तब तक शांत नहीं होंगे जब तक कि पीड़ित बच्चों के परिवारों को उचित मुआवजा और रोजगार सुनिश्चित नहीं हो जाता।
विशेषज्ञों का कहना है कि नरेश मीणा का यह कदम राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से असरदार साबित हो सकता है। उनका आंदोलन लोगों की संवेदनाओं को छू रहा है, जिससे सरकार के लिए इसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो जाएगा।
जयपुर के शहीद स्मारक से मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच कर नरेश मीणा ने समाज और प्रशासन को यह संदेश दिया कि पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जाएंगे। अपने ही समर्थकों पर हमला करने वाले उनके विवादास्पद स्टाइल ने उनकी अलग पहचान बनाई है।