




भारतीय सोने के बाजार में अक्टूबर फ्यूचर्स ने ₹1.10 लाख प्रति 10 ग्राम का नया रिकॉर्ड स्तर पार कर लिया है। यह बढ़ोतरी वैश्विक आर्थिक संकेतकों और घरेलू निवेशकों की बढ़ती मांग के चलते हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दर कट और डॉलर की कमजोरी ने सोने की कीमतों को उछाल दिया है।
गोल्ड मार्केट के विश्लेषकों का कहना है कि सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले दो मुख्य वैश्विक कारक हैं:
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फेड की दर कटौती की उम्मीदें:
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निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक जल्द ही ब्याज दर में कमी कर सकता है।
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इससे डॉलर कमजोर होगा और सोना निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन जाएगा।
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कमजोर डॉलर:
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डॉलर की गिरावट से सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी है।
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भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले स्थिर रहने के बावजूद सोने के दाम में तेजी आई है।
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घरेलू बाजार में स्थिति
भारतीय सोने के निवेशकों और ज्वेलरी खरीदारों ने भी तेजी के संकेत दिए हैं।
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अक्टूबर फ्यूचर्स में रिकॉर्ड बढ़ोतरी ने स्पॉट गोल्ड मार्केट को प्रभावित किया।
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दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों में ज्वेलरी की बिक्री में हल्का उछाल देखा गया।
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निवेशक सोने को हैज और सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं।
विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि निवेशक इस तेजी का फायदा सोच-समझकर ही उठाएं क्योंकि सोने की कीमतें वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करती हैं।
सोने की कीमतों के आंकड़े
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अक्टूबर फ्यूचर्स ने ₹1,10,000 प्रति 10 ग्राम का नया स्तर छुआ।
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पिछले हफ्ते यह मूल्य ₹1,07,500 प्रति 10 ग्राम था।
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महीने की शुरुआत में सोने की कीमत ₹1,05,000 के आसपास थी।
इस तेजी ने निवेशकों और ज्वेलरी बाजार को उत्साहित किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान समय में सोना निवेशकों के लिए सुरक्षित बंदरगाह साबित हो रहा है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, मुद्रास्फीति का बढ़ता दबाव, डॉलर की कमजोरी। इन सभी कारकों ने सोने की मांग बढ़ाई है।
ज्वेलरी उद्योग और मांग
ज्वेलरी सेक्टर ने भी इस तेजी का फायदा उठाया है। शादी और त्योहारों के मौसम के चलते खरीदारी में तेजी आई है। दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे प्रमुख बाजारों में सोने की मांग 10-15% तक बढ़ी है। ज्वेलर्स ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन ऑफर भी बढ़ाए हैं।
गोल्ड एक्सपर्ट्स का कहना है कि अक्टूबर और नवंबर में सोने की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। फेड की ब्याज दर नीति और अमेरिकी डॉलर की स्थिति महत्वपूर्ण होगी। घरेलू निवेशक और ज्वेलरी खरीदार सोने में सुरक्षित निवेश और दीर्घकालिक लाभ की उम्मीद में सक्रिय हैं। विशेषज्ञ निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे तुरंत निर्णय लेने की बजाय बाजार के रुझान और वैश्विक संकेतकों पर ध्यान दें।
अमेरिका और यूरोप में आर्थिक आंकड़ों का असर सीधे भारतीय गोल्ड मार्केट पर पड़ता है। फेड की बैठक, डॉलर की दर, और अंतरराष्ट्रीय सोना स्टॉकिंग की जानकारी निवेशकों की रणनीति तय करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर फ्यूचर्स में तेजी का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और डॉलर की कमजोरी है।
निवेशकों के लिए टिप्स
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सोने में निवेश करते समय वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नजर रखें।
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फ्यूचर्स और स्पॉट गोल्ड की कीमत में अंतर को समझें।
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लंबी अवधि के लिए सोना सुरक्षित निवेश का विकल्प है।
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ज्वेलरी खरीदते समय कर और शुद्धता की जानकारी लेना जरूरी है।
अमेरिकी फेड की संभावित रेट कट और डॉलर की कमजोरी ने अक्टूबर फ्यूचर्स गोल्ड को ₹1.10 लाख प्रति 10 ग्राम तक बढ़ा दिया है।