




दक्षिण एशिया की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) ने हाल ही में दिए बयान में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात को सामान्य बनाने के लिए अमेरिका और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) से मध्यस्थता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बयान के बाद भारत-पाक संबंधों को लेकर नई बहस छिड़ गई है।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों पर बड़ी कार्रवाई की थी। इसमें कई आतंकी ढांचे ध्वस्त हुए और पाकिस्तान आधारित संगठनों को गहरा झटका लगा। भारत ने साफ कहा था कि यह कार्रवाई उसकी सुरक्षा और आतंकवाद को खत्म करने के लिए है।
इशाक डार का बयान
पाक विदेश मंत्री इशाक डार ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“हम नहीं चाहते कि तनाव और बढ़े। अगर अमेरिका या पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहें तो पाकिस्तान इसके लिए तैयार है।”
उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
🇺🇸 अमेरिका और ट्रंप की भूमिका
ट्रंप पहले भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत-पाक विवादों पर मध्यस्थता की बात कर चुके हैं। हालांकि भारत ने हमेशा दोहराया है कि कश्मीर और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे द्विपक्षीय (Bilateral) हैं और किसी तीसरे देश की भूमिका स्वीकार्य नहीं है।
अमेरिकी प्रशासन ने भी आधिकारिक तौर पर फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका के लिए यह दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका दिखाने का एक मौका हो सकता है।
🇮🇳 भारत की स्थिति
भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि किसी भी तरह की बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि मध्यस्थता का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में इशाक डार का यह बयान भारत-पाक संबंधों को और उलझा सकता है।
विशेषज्ञों की राय
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि इशाक डार का यह बयान पाकिस्तान की कूटनीतिक कमजोरी को दिखाता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है। ऐसे में वह अमेरिका और ट्रंप को बीच में लाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि, भारत के कड़े रुख और वैश्विक समर्थन को देखते हुए पाकिस्तान की यह रणनीति ज्यादा सफल होती नजर नहीं आ रही।
राजनीतिक असर
पाकिस्तान के भीतर विपक्षी दलों ने भी इशाक डार की आलोचना की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान को बार-बार मध्यस्थता की गुहार लगाकर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को कमजोर नहीं करना चाहिए। वहीं भारत में भी इस बयान को लेकर राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं।
दक्षिण एशिया पर प्रभाव
यदि अमेरिका इस मामले में सक्रिय होता है तो इससे दक्षिण एशिया की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। लेकिन भारत की सख्त नीति को देखते हुए मध्यस्थता की कोई भी कोशिश शायद ही सफल हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाते हैं और इससे शांति की संभावना कम हो जाती है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का यह बयान दिखाता है कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को कूटनीतिक मोर्चे पर कमजोर किया है। अमेरिका और ट्रंप की मध्यस्थता की चर्चा भले ही पाकिस्तान को राहत देती दिखे, लेकिन भारत की स्पष्ट नीति के चलते इस तरह की पहल का भविष्य अनिश्चित है।