




भारत और दुनिया भर में टेक सेक्टर की नौकरी को हमेशा से हाई-प्रोफाइल और हाई-पेइंग करियर माना जाता है। जब भी कोई इंजीनियर बड़ी कंपनी में नौकरी पाता है और मोटी तनख्वाह कमाने लगता है, तो परिवार और समाज में उसकी पहचान ‘सफल और अमीर’ के रूप में बनने लगती है। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।
हाल ही में टीम ब्लाइंड (Team Blind) पर की गई एक पोस्ट ने इस छिपी हुई हकीकत को सामने ला दिया। इसमें खुलासा हुआ कि ज्यादातर टेक सेक्टर के इंजीनियर सिर्फ कागजों पर अमीर हैं, जबकि असल जिंदगी में उनकी आर्थिक स्थिति काफी चिंताजनक है।
कागजों पर अमीर, असलियत में ‘कंगाल’
पोस्ट के अनुसार, टेक इंजीनियरों को भले ही बाजार में सबसे ज्यादा सैलरी मिलती हो, लेकिन उनकी ज्यादातर कमाई EMI और महंगे खर्चों में चली जाती है।
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घर के लोन की भारी EMI
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कार लोन
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बच्चों की पढ़ाई का खर्च
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महंगे गैजेट्स और लाइफस्टाइल पर खर्च
इन सब कारणों से हाथ में बचत के नाम पर बहुत कम रकम बचती है।
EMI का जाल: सबसे बड़ा बोझ
टेक कंपनियों में काम करने वाले ज्यादातर इंजीनियरों की जिंदगी EMI के बोझ से दबी हुई है।
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औसतन 25 से 45 प्रतिशत सैलरी सिर्फ होम लोन की EMI में चली जाती है।
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बाकी रकम कार, शिक्षा और अन्य खर्चों में खत्म हो जाती है।
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महीने के अंत तक उनके पास बचत के लिए मुश्किल से 5-10% ही बचता है।
यानी उच्च सैलरी के बावजूद वे वित्तीय आज़ादी (Financial Freedom) से कोसों दूर हैं।
समाज की उम्मीदें और दिखावा
भारतीय समाज में टेक इंजीनियरों को अमीर माना जाता है।
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रिश्तेदार और दोस्त सोचते हैं कि लाखों की सैलरी वाला व्यक्ति आलीशान जिंदगी जी रहा होगा।
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लेकिन असलियत यह है कि उनकी आय और खर्चों का संतुलन बिगड़ा हुआ है।
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कई इंजीनियर सिर्फ दिखावे के लिए महंगी लाइफस्टाइल अपनाते हैं, जिससे कर्ज और बढ़ जाता है।
टेक सेक्टर की वास्तविकता
भारत में IT कंपनियों के इंजीनियरों को औसतन ₹12-25 लाख वार्षिक पैकेज मिलता है।
लेकिन जब इसे मासिक खर्च और लोन में बांटा जाता है तो बचत बेहद कम रह जाती है।
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बड़े शहरों जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम में किराया और जीवन-यापन की लागत काफी ज्यादा है।
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यहां जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इंजीनियरों को भारी खर्च करना पड़ता है।
इस तरह उच्च पैकेज के बावजूद उनकी नेट वर्थ उतनी मजबूत नहीं हो पाती।
मानसिक दबाव और तनाव
सिर्फ आर्थिक बोझ ही नहीं, बल्कि EMI और खर्चों का यह दबाव इंजीनियरों की मानसिक सेहत पर भी असर डाल रहा है।
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लगातार बढ़ते कर्ज का डर
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नौकरी खोने का रिस्क
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बचत न कर पाने की चिंता
ये सब मिलकर उन्हें फाइनेंशियल स्ट्रेस (Financial Stress) में डाल देता है।
असली अमीरी क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ मोटी सैलरी होना ही अमीरी की पहचान नहीं है।
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अमीर वह है जो अपनी आय का बड़ा हिस्सा बचा सके।
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जिसके पास आपात स्थिति के लिए पर्याप्त फंड हो।
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और जो कर्ज-मुक्त जीवन जी सके।
टेक इंजीनियरों की मौजूदा स्थिति देखकर साफ है कि वे कागजों पर अमीर हैं लेकिन असल जिंदगी में कर्ज के गुलाम बने हुए हैं।
समाधान क्या है?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कुछ उपाय सुझाते हैं:
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खर्चों पर नियंत्रण – अनावश्यक खर्च कम करें।
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सही निवेश – लंबी अवधि के लिए SIP, म्यूचुअल फंड और रिटायरमेंट प्लान पर ध्यान दें।
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आपातकालीन फंड – 6 से 8 महीने के खर्च के बराबर रकम बचाकर रखें।
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कर्ज से दूरी – जरूरत से ज्यादा लोन लेने से बचें।
अगर इंजीनियर इन बातों पर ध्यान दें तो वे कर्ज के जाल से बाहर निकल सकते हैं।
आज की वास्तविकता यह है कि टेक सेक्टर के इंजीनियरों को देखकर भले ही लगे कि वे अमीर हैं, लेकिन EMI और महंगे खर्चों के बोझ ने उनकी जिंदगी को तनावपूर्ण बना दिया है।