




उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के बीच एक बड़ा मामला सामने आया है। एक ACS अधिकारी की संपत्ति का खुलासा होते ही प्रशासन और मुख्यमंत्री तक हैरान रह गए। सिर्फ 5 साल की सेवा में अधिकारी के पास 1 करोड़ रुपये नकद, सोना-चांदी और हीरे के गहने पाए गए। यह मामला न केवल प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि सरकारी तंत्र में छिपे काले सच को भी उजागर करता है।
छापेमारी में मिला खजाना
जांच एजेंसियों ने हाल ही में इस PCS अधिकारी के आवास और लॉकरों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक, टीम को 1 करोड़ रुपये नकद, करीब 2 किलो सोना, चांदी के बर्तन और हीरे-जवाहरात मिले। इनकी कुल कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है।
छापे के दौरान महंगे ब्रांडेड घड़ियों, लग्जरी कारों और जमीन-जायदाद के कागजात भी बरामद हुए।
CM भी हैरान
जब यह जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि “भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकारी अधिकारी जनता की सेवा के लिए नियुक्त किए जाते हैं, न कि निजी संपत्ति इकट्ठा करने के लिए।”
5 साल की सेवा और इतना धन?
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संबंधित अधिकारी ने मात्र 5 साल पहले अपनी सेवा की शुरुआत की थी। सामान्य वेतनमान के हिसाब से इतने कम समय में इतनी संपत्ति अर्जित करना असंभव माना जा रहा है।
वित्तीय अनियमितताओं और घोटालों की संभावना को देखते हुए आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।
जांच एजेंसियों की सक्रियता
विजिलेंस और आयकर विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर इतनी भारी-भरकम राशि और गहने कहां से आए।
सूत्र बताते हैं कि अधिकारी के कुछ बिजनेसमैन और बिल्डरों से गहरे संबंध हैं, और यही लिंक भ्रष्टाचार की असली जड़ हो सकते हैं।
जनता में आक्रोश
इस खबर के सामने आने के बाद आम जनता में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि जब PCS स्तर के अधिकारी इतने कम समय में करोड़ों की संपत्ति जमा कर सकते हैं, तो आम जनता की मेहनत की कमाई का कितना दुरुपयोग हो रहा होगा।
जनता यह भी मांग कर रही है कि न सिर्फ इस अधिकारी बल्कि उसके सहयोगियों और नेटवर्क की भी जांच की जाए।
PCS अधिकारी की संपत्ति का यह खुलासा भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए एक बड़ा सबक है। यह घटना दिखाती है कि पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना अब समय की मांग है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद माना जा रहा है कि दोषी अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई होगी।
यह मामला न केवल सरकारी अफसरशाही की कार्यशैली पर सवाल उठाता है बल्कि जनता के विश्वास को भी झकझोरता है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट यह तय करेगी कि इस ‘काली कमाई’ की असली जड़ कहां है और कितने बड़े स्तर पर इसका नेटवर्क फैला हुआ है।