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भारत में रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से डिजिटल हो रहा है और अब “ऑनलाइन घरों की डिलीवरी” एक नया ट्रेंड बनकर उभर रहा है। जिस तरह ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर लोग कपड़े, गैजेट्स और फर्नीचर खरीदते हैं, उसी तरह अब घर खरीदने और उसकी डिलीवरी की प्रक्रिया भी इंटरनेट पर शिफ्ट हो रही है।
ऑनलाइन होम डिलीवरी का मतलब है कि उपभोक्ता घर खरीदने की पूरी प्रक्रिया—देखना, बुक करना, पेमेंट करना और डिलीवरी तक—डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पूरी कर सकता है। बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स और PropTech कंपनियां वर्चुअल टूर, ऑनलाइन पेमेंट गेटवे और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए ग्राहकों को “हाउस एट क्लिक” अनुभव दे रही हैं।
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पारदर्शिता – ब्रोकर की मध्यस्थता कम होने से लागत और धोखाधड़ी दोनों कम होते हैं।
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समय की बचत – अब प्रॉपर्टी देखने के लिए बार-बार साइट विजिट की जरूरत नहीं, वर्चुअल 3D टूर से घर ऑनलाइन ही देखे जा सकते हैं।
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सुलभता – देशभर में कहीं से भी घर खरीदने की सुविधा।
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डॉक्यूमेंटेशन का डिजिटलाइजेशन – ई-सिग्नेचर और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स से पेपरवर्क कम हुआ है।
 
भारत का रियल एस्टेट मार्केट लगभग 265 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका लगातार बढ़ रही है।
NoBroker, MagicBricks, Housing.com जैसी कंपनियां पहले ही ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा दे रही हैं। अब कई डेवलपर्स घर खरीदने के बाद वर्चुअल डिलीवरी सर्टिफिकेट भी दे रहे हैं, ताकि खरीदारों को भरोसा और सुरक्षा मिले।
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Virtual Reality (VR) और Augmented Reality (AR): घर को वर्चुअल टूर में देखने की सुविधा।
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Blockchain आधारित स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स: ट्रांजैक्शन सुरक्षित और पारदर्शी।
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AI आधारित सिफारिशें: ग्राहक की पसंद और बजट के अनुसार सुझाव।
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UPI और डिजिटल पेमेंट्स: आसान भुगतान।
 
रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत जैसे युवा और टेक-फ्रेंडली बाजार में यह ट्रेंड तेज़ी से पॉपुलर होगा।
रियल एस्टेट एनालिस्ट नीरज मल्होत्रा कहते हैं,
“ऑनलाइन होम डिलीवरी सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं का भरोसा भी जीत रही है। आने वाले समय में यह आम प्रैक्टिस बन जाएगी।”
अमेरिका, दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में ऑनलाइन प्रॉपर्टी बुकिंग और डिलीवरी पहले से पॉपुलर है। भारत में अभी यह शुरुआती स्तर पर है, लेकिन मेट्रो सिटीज़ में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। खासकर, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में आईटी प्रोफेशनल्स और एनआरआई खरीदार इस ट्रेंड को अपनाने लगे हैं।
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साइबर फ्रॉड और डेटा सिक्योरिटी।
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प्रॉपर्टी के वैध कागजात और रेगुलेटरी क्लियरेंस।
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ग्रामीण इलाकों में डिजिटल पहुंच की कमी।
 
भारत में घरों की ऑनलाइन डिलीवरी का ट्रेंड रियल एस्टेट सेक्टर को एक नई दिशा दे रहा है। यह उपभोक्ताओं के लिए तेज़, सस्ता और भरोसेमंद विकल्प साबित हो सकता है। हालांकि, इसे सफल बनाने के लिए मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी और सख्त रेगुलेशन की जरूरत होगी।
आने वाले कुछ वर्षों में, यह कहना गलत नहीं होगा कि “जैसे लोग ऑनलाइन कपड़े खरीदते हैं, वैसे ही घर भी खरीदेंगे।”

		
		
		
		
		
		
		
		
		





