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लोकसभा चुनाव 2025 को लेकर देश का राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग (Election Commission) पर गंभीर आरोप लगाए थे। राहुल गांधी ने कहा था कि आयोग सत्तारूढ़ दल बीजेपी के दबाव में काम कर रहा है और विपक्ष को बराबरी का अवसर नहीं दे रहा। इस बयान ने सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दी थी।
हालांकि अब चुनाव आयोग ने इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राहुल गांधी के आरोपों को “झूठा और निराधार” करार दिया है। आयोग ने साफ कहा है कि भारत में चुनाव हमेशा स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी रहे हैं और इस बार भी वही परंपरा कायम है।
राहुल गांधी ने हाल ही में एक रैली के दौरान कहा था:
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“भारत में लोकतंत्र खतरे में है। चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा रहा। विपक्षी दलों को बराबरी का मौका नहीं दिया जा रहा।”
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर भाजपा नेताओं पर कार्रवाई नहीं होती, जबकि विपक्ष को तुरंत नोटिस भेज दिए जाते हैं।
इन बयानों को कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर भी जोर-शोर से उठाया।
चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा:
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“राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह गलत और तथ्यहीन हैं।”
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“आयोग किसी भी राजनीतिक दल के दबाव में नहीं है। सभी पार्टियों को समान अवसर दिया जा रहा है।”
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“यदि किसी को शिकायत है तो आयोग के पास आधिकारिक माध्यम मौजूद हैं। सार्वजनिक मंचों से गलत जानकारी फैलाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है।”
आयोग ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के बयानों से जनता के बीच भ्रम और अविश्वास पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
इस मामले पर बीजेपी ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि:
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“राहुल गांधी को अपनी लगातार हार से हताशा हो रही है। इसलिए वे लोकतांत्रिक संस्थाओं की छवि खराब करने में लगे हैं।”
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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “राहुल गांधी हर चुनाव से पहले ऐसी ही बयानबाजी करते हैं। लेकिन जनता जानती है कि चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र है।”
दूसरी ओर, कांग्रेस ने चुनाव आयोग के बयान पर आश्चर्य जताया और कहा कि विपक्ष को अपने अनुभव के आधार पर सवाल उठाने का पूरा हक है।
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी बड़ा माहौल बना दिया है।
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कुछ यूज़र्स ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है।
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वहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने चुनाव आयोग पर भरोसा जताया और कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हर चुनाव से पहले इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप आम हो जाते हैं।
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वरिष्ठ विश्लेषक योगेंद्र यादव का कहना है कि “राहुल गांधी के आरोपों पर विचार होना चाहिए, लेकिन इसे जनता के बीच भ्रम फैलाने वाले बयान की तरह नहीं लिया जाना चाहिए।”
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वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आयोग को पारदर्शिता के लिए और ज्यादा टेक्नोलॉजी और स्वतंत्र मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग करना चाहिए।
चुनाव आयोग और राहुल गांधी के बीच यह विवाद भारतीय राजनीति में नया मोड़ लेकर आया है। एक ओर कांग्रेस का दावा है कि विपक्ष को बराबरी का अवसर नहीं मिल रहा, वहीं आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष है।
अब देखना यह होगा कि इस बयानबाजी का असर आगामी चुनावों में जनता के फैसले पर कितना पड़ता है।






