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    बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों अटका? आरएसएस से रिश्तों पर नितिन गडकरी का बड़ा बयान

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    भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ा बयान दिया है। लंबे समय से यह सवाल उठ रहा है कि आखिर भाजपा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं कर पा रही है और क्या इसमें आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की भूमिका अहम है। गडकरी ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी और पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक परंपरा और संगठनात्मक प्रक्रिया को सामने रखा।

    बीजेपी संगठन में यह परंपरा रही है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हर तीन साल में होता है। लेकिन 2025 में यह प्रक्रिया तय समय पर पूरी नहीं हो सकी।
    इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं:

    1. लोकसभा और विधानसभा चुनावों की व्यस्तता।

    2. संगठनात्मक फेरबदल और नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति।

    3. आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व के बीच सहमति बनने की प्रक्रिया।

    गडकरी ने इस पर कहा,

    “भाजपा का संगठनात्मक चुनाव केवल एक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक लोकतांत्रिक परंपरा है। इसमें सभी राज्यों से राय ली जाती है और तभी अंतिम निर्णय होता है।”

    भाजपा और आरएसएस के रिश्तों पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। कई बार आरोप लगाया जाता है कि पार्टी अध्यक्ष और बड़े पदों पर संघ का सीधा दखल होता है। इस पर गडकरी ने कहा:

    “आरएसएस और बीजेपी का रिश्ता परिवार जैसा है। संघ कोई आदेश नहीं देता, बल्कि सुझाव देता है। अंतिम फैसला भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के अनुसार ही होता है।”

    उन्होंने साफ किया कि संघ और भाजपा में मतभेद की बातें केवल राजनीतिक अफवाह हैं।

    नितिन गडकरी ने इस मुद्दे पर मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक दल है।

    • “हमारे यहां किसी भी पद पर चयन नामित तरीके से नहीं होता, बल्कि राज्यों और केंद्र की इकाइयों से चर्चा कर तय किया जाता है।”

    • “राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में कोई रुकावट नहीं है, बस संगठनात्मक मजबूती और भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए समय लिया जा रहा है।”

    राजनीतिक गलियारों में यह सवाल सबसे अहम है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा।

    • कुछ नाम जैसे जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने,

    • भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, और अनुराग ठाकुर के संभावित नाम सामने आ रहे हैं।

    • लेकिन अंतिम फैसला संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही होगा।

    गडकरी ने इस पर सीधा जवाब देते हुए कहा:

    “किसी भी व्यक्ति का नाम तभी तय होगा जब संगठनात्मक चुनाव खत्म होंगे। मीडिया में चल रही अटकलें केवल कयास हैं।”

    विपक्ष लगातार भाजपा पर यह आरोप लगा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव टालना संगठनात्मक कमजोरी का संकेत है। कांग्रेस और अन्य दलों का कहना है कि भाजपा बिना आरएसएस की सहमति कोई फैसला नहीं ले सकती।

    इस पर भाजपा नेताओं का कहना है कि यह केवल ‘राजनीतिक बयानबाज़ी’ है। उनका दावा है कि भाजपा पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करती है और समय आने पर नया अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा।

    बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भले ही फिलहाल टल गया हो, लेकिन नितिन गडकरी के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में किसी तरह का संकट नहीं है। आरएसएस और भाजपा के रिश्ते पर भी उन्होंने साफ कहा कि यह रिश्ता ‘आदेश और नियंत्रण’ का नहीं बल्कि ‘मार्गदर्शन और सहयोग’ का है।

    अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि भाजपा कब अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा करती है और वह कौन नेता होगा जो 2029 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी की कमान संभालेगा।

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