




भारत का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। दिसंबर 2025 में, ISRO अपने पहले मानवरहित गगनयान मिशन में एक AI-सक्षम ह्यूमनॉइड रोबोट ‘व्योममित्र’ को अंतरिक्ष में भेजेगा। यह भारत का पहला रोबोट एस्ट्रोनॉट होगा, जो अंतरिक्ष में मानव गतिविधियों का परीक्षण करेगा और भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
व्योममित्र: एक परिचय
‘व्योममित्र’ नाम संस्कृत के दो शब्दों से लिया गया है: ‘व्योम’ (अंतरिक्ष) और ‘मित्र’ (मित्र)। यह एक महिला आकृति वाला ह्यूमनॉइड रोबोट है, जिसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम में ISRO द्वारा विकसित किया गया है। व्योममित्र का डिज़ाइन इस प्रकार किया गया है कि वह मानव गतिविधियों की नकल कर सके और अंतरिक्ष यान के अंदर विभिन्न कार्यों को अंजाम दे सके।
मिशन के उद्देश्य
व्योममित्र का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यान के अंदर जीवन समर्थन प्रणालियों, पर्यावरण नियंत्रण, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का परीक्षण करना है। वह मानव अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक सहायक के रूप में कार्य करेगी, जिससे उनकी सुरक्षा और कार्यक्षमता सुनिश्चित की जा सके।
उड़ान की तैयारी
ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन के अनुसार, व्योममित्र को दिसंबर 2025 में गगनयान के पहले मानवरहित मिशन में भेजा जाएगा। यह मिशन अंतरिक्ष यान की प्रणालियों की जांच और परीक्षण के लिए महत्वपूर्ण होगा। सफल परीक्षण के बाद, अगले वर्ष 2026 में दो और मानवरहित मिशन आयोजित किए जाएंगे, जो मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी में सहायक होंगे।
भविष्य की योजनाएँ
गगनयान मिशन के तहत, ISRO का उद्देश्य 2027 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी की कक्षा में भेजना है, जहाँ वे तीन दिन तक शून्य गुरुत्वाकर्षण में कार्य करेंगे और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। व्योममित्र इन मिशनों में भी अंतरिक्ष यात्रियों की सहायता करेगी और उनके कार्यों की निगरानी करेगी।
व्योममित्र का अंतरिक्ष में उड़ान भरना भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल ISRO की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है। व्योममित्र की सफलता भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशनों की सफलता की कुंजी साबित होगी।