




भारत के महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। 20 सितंबर को महाराष्ट्र हिस्से में एनएटीएम (New Austrian Tunnelling Method) तकनीक से बनी सुरंग का ब्रेकथ्रू हासिल किया गया। इस सफलता के साथ प्रोजेक्ट का महाराष्ट्र खंड लगभग पूरा होने के करीब है।
यह विकास बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की गति को और तेज करने वाला साबित होगा, क्योंकि सुरंग निर्माण इस प्रोजेक्ट के सबसे कठिन चरणों में से एक था।
एनएटीएम तकनीक क्या है?
एनएटीएम यानी न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड एक आधुनिक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल कठिन भूगर्भीय परिस्थितियों में सुरंग बनाने के लिए किया जाता है। इसमें जमीन की प्राकृतिक मजबूती का उपयोग करते हुए, चरणबद्ध खुदाई और शॉटक्रिट जैसी तकनीकों से सुरंग का निर्माण किया जाता है।
इस तकनीक का इस्तेमाल भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाकों और जटिल भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों को देखते हुए यह तकनीक सबसे उपयुक्त रही।
महाराष्ट्र खंड पर काम लगभग पूरा
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का महाराष्ट्र वाला हिस्सा लंबे समय से चर्चा में रहा है। कानूनी और भूमि अधिग्रहण की दिक्कतों के बावजूद अब यहां काम तेजी से आगे बढ़ा है।
20 सितंबर को हुए ब्रेकथ्रू से साफ संकेत मिल रहे हैं कि महाराष्ट्र सेक्शन तय समयसीमा के भीतर पूरा हो सकता है। इस हिस्से में लगभग 21 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जा रही है, जिसमें एक अंडरसी टनल भी शामिल है।
एनएटीएम टनल ब्रेकथ्रू क्यों अहम?
टनल निर्माण बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का सबसे कठिन और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण चरण माना जाता है। महाराष्ट्र सेक्शन में पहाड़ी इलाकों से गुजरना बड़ी चुनौती थी। सुरंग की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनएटीएम तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस ब्रेकथ्रू के बाद अब पटरियों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने का काम तेजी से शुरू हो सकेगा।
रेल मंत्रालय और नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने इस उपलब्धि को एक बड़ी मील का पत्थर बताया है।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की झलक
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कुल लंबाई: 508 किलोमीटर
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कुल स्टेशन: 12 (मुंबई, ठाणे, विरार, वापी, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद आदि)
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अधिकतम गति: 320 किमी प्रति घंटा
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समय बचत: मुंबई से अहमदाबाद की यात्रा मात्र 2-3 घंटे में पूरी होगी।
इस प्रोजेक्ट का 70% से ज्यादा काम पहले ही पूरा हो चुका है। गुजरात सेक्शन तेजी से आगे बढ़ा है और अब महाराष्ट्र खंड भी अपनी रफ्तार पकड़ रहा है।
अब तक की प्रगति
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गुजरात: यहां ट्रैक बिछाने और स्टेशन निर्माण का काम तेजी से हो रहा है। कई जगहों पर पिलर और ट्रैक स्ट्रक्चर खड़े हो चुके हैं।
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महाराष्ट्र: सुरंग निर्माण सबसे कठिन था, लेकिन अब इसके बड़े हिस्से पूरे हो गए हैं।
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इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग सिस्टम: इनका काम अगले चरण में शुरू होगा।
चुनौतियां और समाधान
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने शुरुआत से ही कई चुनौतियों का सामना किया।
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भूमि अधिग्रहण: खासकर महाराष्ट्र में विरोध और कानूनी अड़चनें आईं।
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तकनीकी चुनौतियां: अंडरसी टनल और पहाड़ी सुरंग बनाना सबसे कठिन कार्यों में शामिल था।
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लागत: प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है।
फिर भी केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से इन मुश्किलों को पार किया गया और प्रोजेक्ट ने नई रफ्तार पकड़ी।
रोजगार और आर्थिक असर
इस प्रोजेक्ट से न केवल यात्रा सुविधाजनक होगी बल्कि हजारों रोजगार भी पैदा हो रहे हैं। निर्माण कार्य में हजारों इंजीनियर और मजदूर जुड़े हुए हैं। मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन से भी अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बन रहे हैं। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पर्यटन और बिज़नेस को भी बड़ा फायदा मिलेगा।
यात्रियों के लिए लाभ
बुलेट ट्रेन भारतीय रेलवे का चेहरा बदल देगी।
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गति: 320 किमी/घंटा की स्पीड से सफर तेज और आरामदायक होगा।
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समय: मुंबई से अहमदाबाद की यात्रा 6-7 घंटे से घटकर 2-3 घंटे में पूरी होगी।
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सुविधा: एयरलाइन जैसी सुविधाएं ट्रेन में मिलेंगी।
भविष्य की राह
सरकार की योजना है कि भविष्य में अन्य कॉरिडोर भी बनाए जाएं, जैसे दिल्ली-वाराणसी और दिल्ली-अहमदाबाद। मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर इन सभी योजनाओं के लिए मॉडल प्रोजेक्ट की तरह काम करेगा।
20 सितंबर को हुए एनएटीएम टनल ब्रेकथ्रू ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में नई ऊर्जा भर दी है। महाराष्ट्र सेक्शन के लगभग पूरा होने के साथ, यह प्रोजेक्ट अपनी अंतिम मंजिल की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
यह उपलब्धि न केवल इंजीनियरिंग के लिहाज से ऐतिहासिक है, बल्कि यह भारत की आधुनिक परिवहन प्रणाली का भी प्रतीक है। जब यह बुलेट ट्रेन पटरी पर दौड़ेगी, तो यह देश की रफ्तार और विकास दोनों का नया चेहरा पेश करेगी।