




मुंबई शहर में नवरात्रि आते ही हर गली, हर मोहल्ला गरबा और डांडिया की धुनों से गूंजने लगता है। इस बार भी शहर गरबा नाइट्स के लिए तैयार हो चुका है। लेकिन खास बात यह है कि इस बार “ओ हालो रे” वर्कशॉप्स ने पहले ही गरबा प्रेमियों को थिरकने के लिए तैयार कर दिया है।
“ओ हालो रे” वर्कशॉप्स का जादू
मुंबई में आयोजित इन वर्कशॉप्स का उद्देश्य था कि लोग गरबा के पारंपरिक और आधुनिक दोनों अंदाज़ सीख सकें। प्रशिक्षकों ने यहां लोगों को गरबा के बेसिक स्टेप्स से लेकर एडवांस मूव्स तक सिखाए। वर्कशॉप्स में खासतौर से पारंपरिक गुजराती स्टाइल पर जोर दिया गया। युवाओं को आकर्षित करने के लिए डांस मूव्स को बॉलीवुड और फ्यूजन स्टाइल के साथ भी जोड़ा गया।
“ओ हालो रे” वर्कशॉप्स में शामिल लोगों का कहना है कि यह न सिर्फ डांस सीखने का मंच था, बल्कि संस्कृति से जुड़ने का भी अवसर था।
गरबा का सांस्कृतिक महत्व
गरबा सिर्फ एक डांस फॉर्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और नवरात्रि उत्सव का अहम हिस्सा है। इसमें मां दुर्गा की आराधना की जाती है। गरबा का गोलाकार नृत्य ब्रह्मांड और जीवन चक्र का प्रतीक माना जाता है। गुजरात से शुरू होकर यह डांस आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है।
मुंबई जैसे महानगर में गरबा नाइट्स अब सांस्कृतिक एकता और सामूहिक उत्सव का प्रतीक बन चुकी हैं।
युवाओं का जोश
“ओ हालो रे” वर्कशॉप्स में युवाओं की बड़ी संख्या ने हिस्सा लिया। कॉलेज के स्टूडेंट्स से लेकर कामकाजी युवा तक सभी ने इसमें उत्साह दिखाया। कई लोगों ने इसे फिटनेस और सोशल कनेक्शन का भी बेहतरीन जरिया बताया।
वर्कशॉप्स में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि अब वे गरबा नाइट्स में आत्मविश्वास के साथ हिस्सा ले सकेंगे और अपनी परफॉर्मेंस से सबका दिल जीतेंगे।
मुंबई की गरबा नाइट्स क्यों हैं खास?
मुंबई में गरबा नाइट्स एक अलग ही अनुभव प्रदान करती हैं। यहां गुजराती समाज की बड़ी आबादी है, जो परंपरागत ढंग से गरबा आयोजित करती है। साथ ही, बॉलीवुड और ग्लैमर इंडस्ट्री की मौजूदगी इन आयोजनों को और आकर्षक बना देती है। शहर के विभिन्न क्लब, सोसाइटी और बड़े मैदानों में हजारों लोग इकट्ठा होकर गरबा खेलते हैं। इस बार भी उम्मीद है कि नवरात्रि के दौरान मुंबई की रातें गरबा और डांडिया के रंग में डूबी रहेंगी।
तैयारियों में जुटा शहर
नवरात्रि से पहले ही पूरा मुंबई गरबा की तैयारियों में जुट चुका है। डिजाइनर चनिया-चोली, पारंपरिक आभूषण और रंग-बिरंगे परिधान दुकानों पर सज गए हैं। डीजे और लाइव म्यूजिक बैंड्स भी गरबा नाइट्स के लिए रिहर्सल कर रहे हैं। आयोजकों ने सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर भी पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए हैं।
“ओ हालो रे” वर्कशॉप्स ने इस उत्सव को और भी खास बना दिया है क्योंकि अब प्रतिभागी नई स्टेप्स और नए जोश के साथ नवरात्रि में शामिल होंगे।
आयोजकों का कहना
वर्कशॉप्स आयोजित करने वाले आयोजकों का कहना है कि उनका मकसद केवल डांस सिखाना नहीं था। वे चाहते थे कि लोग गरबा की जड़ों से जुड़ें और उसकी असल भावना को समझें। आयोजकों ने बताया कि हर साल बढ़ती भागीदारी यह साबित करती है कि लोगों में गरबा के प्रति प्रेम लगातार बढ़ रहा है।
बॉलीवुड और गरबा का कनेक्शन
मुंबई में गरबा नाइट्स का जिक्र हो और बॉलीवुड का नाम न आए, यह संभव नहीं। कई हिंदी फिल्मों में गरबा सॉन्ग्स ने दर्शकों का दिल जीता है। खासकर “ओ हालो रे” जैसे गाने ने गरबा नाइट्स की धड़कन को और तेज कर दिया है। वर्कशॉप्स में भी इन गानों पर स्टेप्स सिखाए गए, जिससे लोगों का उत्साह दोगुना हो गया।
सामाजिक जुड़ाव और एकता
गरबा नाइट्स सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह लोगों को जोड़ने का भी जरिया हैं। यहां अलग-अलग पृष्ठभूमि और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर नृत्य करते हैं। इससे सामाजिक एकता और भाईचारा मजबूत होता है।
“ओ हालो रे” वर्कशॉप्स ने इस जुड़ाव को और गहरा किया क्योंकि इसमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हुए।
मुंबई की गरबा नाइट्स हर साल शहर की पहचान बन जाती हैं। इस बार “ओ हालो रे” वर्कशॉप्स ने इन आयोजनों की चमक को और बढ़ा दिया है।
इन वर्कशॉप्स ने लोगों को न सिर्फ नए डांस स्टेप्स सिखाए, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का भी मौका दिया। नवरात्रि में जब पूरा शहर रंग-बिरंगे परिधानों और ढोल की थाप पर थिरकेगा, तब “ओ हालो रे” की गूंज हर कोने में सुनाई देगी।
मुंबई की रातें गरबा और डांडिया के इस रंगीन उत्सव से एक बार फिर जगमगाने वाली हैं।