इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

भारत के वरिष्ठ तकनीकी और नीति सलाहकार सैम पित्रोदा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी युवा पीढ़ी यानी Gen-Z को भारत में एक “घर जैसा” महसूस होता है। उन्होंने कहा कि इस युवा वर्ग के दृष्टिकोण में भारत की आर्थिक, सांस्कृतिक और डिजिटल प्रगति को लेकर सकारात्मक रुझान देखा जा सकता है।
पित्रोदा ने मीडिया को बताया कि उन्होंने विदेश यात्रा और युवा संवाद कार्यक्रमों के दौरान महसूस किया कि पड़ोसी देशों के युवा भारत में शिक्षा, रोजगार और नवाचार के अवसरों के कारण आकर्षित हैं।
-
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल की युवा पीढ़ी को भारत में आत्मीयता और अवसर महसूस होता है। यह केवल रोजगार नहीं, बल्कि तकनीकी, सांस्कृतिक और डिजिटल दुनिया में भी एक साझा अनुभव है।”
-
पित्रोदा ने यह भी जोड़ा कि भारत की डिजिटल क्रांति और स्टार्टअप संस्कृति ने दक्षिण एशियाई युवाओं को जोड़ने में मदद की है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सैम पित्रोदा के इस बयान का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “हमारा पड़ोसी देशों के युवाओं के साथ संवाद और सहयोग बढ़ाने का समय है। भारत की प्रगति का अनुभव सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है।”
-
राहुल गांधी ने कहा कि युवा शक्ति को एकजुट करना और दक्षिण एशिया में साझा अवसर प्रदान करना समय की मांग है।
-
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को पड़ोसी देशों के युवाओं के साथ शिक्षा और उद्यमिता के अवसर साझा करने चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी सीमाओं से परे सोच रही है।
-
सांस्कृतिक जुड़ाव: फिल्मों, संगीत और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं में भारत की संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
-
शिक्षा और रोजगार: भारत के विश्वविद्यालय और स्टार्टअप ईकोसिस्टम पड़ोसी देशों के युवाओं के लिए अवसर प्रस्तुत करते हैं।
-
डिजिटल इंडिया प्रभाव: ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल पेमेंट और स्टार्टअप सैक्टर ने भारत को एक आकर्षक विकल्प बना दिया है।
सैम पित्रोदा ने यह भी संकेत दिया कि भारत और पड़ोसी देशों के बीच युवा और तकनीकी सहयोग बढ़ाने से क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
-
उन्होंने कहा कि साझा प्रोजेक्ट्स, इंटर्नशिप और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स से युवाओं को जोड़ना भारत और पड़ोसी देशों दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
-
पित्रोदा के अनुसार, यह कदम राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर युवा को केंद्र में रखने का अवसर है।
सैम पित्रोदा और राहुल गांधी दोनों का मानना है कि युवा पीढ़ी ही भारत और पड़ोसी देशों के बीच भविष्य की कड़ी है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में युवा भारत को एक “घर जैसा” महसूस करते हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा देगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयानों से राजनीतिक संवाद और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। भारत को चाहिए कि वह शिक्षा, उद्यमिता और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से इस सकारात्मक प्रवृत्ति को और सशक्त करे।








