




भारतीय शेयर बाजार ने शुक्रवार, 19 सितम्बर 2025 को गिरावट के साथ शुरुआत की। सुबह के कारोबारी सत्र में निफ्टी-50 कुछ अंक नीचे खुला, जबकि बीएसई सेंसेक्स भी शुरुआती कारोबार में 82,900 के स्तर से नीचे गिरकर लगभग 82,871 के आसपास कारोबार करता दिखा। इस गिरावट से निवेशकों के बीच चिंता का माहौल है।
वैश्विक बाजारों का दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में यह गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक संकेतों के कारण आई है। अमेरिका और यूरोप के बाजारों में आई कमजोरी ने घरेलू निवेशकों की धारणा पर असर डाला है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को ऊंचा बनाए रखने की संभावना ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। वहीं, एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखाई दिया।
निफ्टी-50 और सेंसेक्स की चाल
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निफ्टी-50: दिन की शुरुआत में निफ्टी-50 मामूली गिरावट के साथ खुला। आईटी और ऑटो सेक्टर के शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव देखा गया।
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सेंसेक्स: सेंसेक्स 82,900 के स्तर से नीचे जाकर 82,871 के आसपास ट्रेड करता दिखा। बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर के शेयरों में बिकवाली का असर दिखाई दिया।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर विदेशी निवेशकों (FIIs) की बिकवाली का दबाव जारी रहा, तो बाजार में और गिरावट देखी जा सकती है।
सेक्टोरल इंडेक्स पर असर
आज लगभग सभी सेक्टोरल इंडेक्स में दबाव देखा गया।
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आईटी सेक्टर: वैश्विक मंदी के संकेतों के चलते आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई।
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ऑटो सेक्टर: महंगाई और ब्याज दरों के चलते वाहन कंपनियों के शेयर भी फिसले।
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बैंकिंग और फाइनेंस: बैंकों के शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव देखा गया।
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मेटल सेक्टर: चीन की आर्थिक मंदी से जुड़ी खबरों के चलते मेटल कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों की संपत्ति में कमी
शेयर बाजार में गिरावट का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ा है। शुरुआती कारोबार में ही बाजार पूंजीकरण में हजारों करोड़ रुपये की कमी देखी गई। छोटे निवेशक जहां सतर्क हो गए हैं, वहीं बड़े निवेशक भी नई पोजिशन लेने से बचते नजर आ रहे हैं।
विदेशी निवेशकों (FII) की भूमिका
पिछले कुछ दिनों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। इसका एक कारण डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव कम नहीं होगा, तब तक भारतीय बाजार में स्थिरता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
बाजार विशेषज्ञों की राय
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है।
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शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा लेकिन
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लॉन्ग टर्म में भारतीय बाजार की नींव मजबूत है।
भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और घरेलू खपत आने वाले समय में शेयर बाजार को सपोर्ट करेंगे। हालांकि, अगले कुछ दिनों तक निवेशकों को सावधानी बरतनी होगी।
निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञ निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि इस समय जल्दबाजी में कोई बड़ा फैसला न लें।
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मजबूत और फंडामेंटली अच्छे शेयरों पर टिके रहें।
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शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग से बचें।
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मार्केट की गिरावट को खरीदारी का अवसर माना जा सकता है, लेकिन केवल दीर्घकालिक दृष्टिकोण से।
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आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर पर फिलहाल सतर्क रहें।
आगे की राह
मौजूदा हालात को देखते हुए आने वाले दिनों में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। वैश्विक संकेत, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां, कच्चे तेल की कीमतें और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय करेंगी।
यदि विदेशी निवेशक बिकवाली का सिलसिला रोकते हैं और घरेलू निवेशकों का भरोसा बढ़ता है, तो निफ्टी और सेंसेक्स में रिकवरी देखने को मिल सकती है।
आज के कारोबार में भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। निफ्टी-50 और सेंसेक्स की कमजोरी ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा। हालांकि, दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह समय सस्ते दामों पर अच्छे शेयर चुनने का अवसर भी हो सकता है।