




यूरोप के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर शनिवार को अचानक साइबर अटैक (Cyberattack) हुआ, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ ब्रसेल्स एयरपोर्ट (Brussels Airport), जहां घंटों तक चेक-इन सिस्टम ठप रहने के कारण लंबी कतारें लग गईं और दर्जनों उड़ानों में देरी हुई।
सुबह करीब 9 बजे से ही यात्रियों ने शिकायत करनी शुरू की कि वे ऑनलाइन चेक-इन और काउंटर पर बोर्डिंग पास जनरेट नहीं कर पा रहे हैं। जल्द ही एयरपोर्ट प्रशासन ने पुष्टि की कि यह समस्या किसी बड़े साइबर हमले की वजह से उत्पन्न हुई है।
ब्रसेल्स के अलावा फ्रैंकफर्ट, पेरिस और एम्स्टर्डम एयरपोर्ट्स पर भी इसी तरह की तकनीकी दिक्कतें सामने आईं। हालांकि सभी जगह तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश की गई, लेकिन यात्रियों की भीड़ संभालना मुश्किल हो गया।
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यात्रियों को घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ा।
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कई फ्लाइट्स टेक-ऑफ के लिए तैयार थीं, लेकिन चेक-इन डेटा उपलब्ध न होने की वजह से उन्हें रोका गया।
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अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सुरक्षा कारणों से मैनुअल प्रोसेस अपनाना पड़ा, जिससे और समय लगा।
एक यात्री ने बताया—
“मैं सुबह 7 बजे से लाइन में खड़ा हूँ, लेकिन अब तक बोर्डिंग पास नहीं मिल पाया। एयरपोर्ट स्टाफ भी कन्फ्यूज है।”
ब्रसेल्स एयरपोर्ट प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा—
“हमारे सिस्टम पर एक बड़े साइबर हमले की पुष्टि हुई है। आईटी और साइबर सिक्योरिटी टीम लगातार काम कर रही है ताकि जल्द से जल्द सेवाएं बहाल की जा सकें।”
प्रशासन ने यात्रियों से धैर्य रखने और उड़ानों की स्थिति जानने के लिए एयरलाइन की आधिकारिक वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर नज़र रखने की अपील की।
इस साइबर अटैक का असर सिर्फ बेल्जियम तक सीमित नहीं रहा।
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जर्मनी (फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट) – यूरोप के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक पर कई उड़ानें देर से रवाना हुईं।
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फ्रांस (पेरिस चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट) – यात्री सेवाएं बाधित रहीं, मैनुअल चेक-इन की व्यवस्था करनी पड़ी।
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नीदरलैंड्स (एम्स्टर्डम शिफोल एयरपोर्ट) – एयरलाइंस ने यात्रियों को जल्दी पहुंचने की सलाह दी।
यूरोपीय संघ (EU) की सुरक्षा एजेंसियों ने सभी सदस्य देशों को अलर्ट जारी कर दिया है।
साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला किसी संगठित हैकिंग ग्रुप द्वारा किया गया है। शुरुआती जांच में रैनसमवेयर (Ransomware) अटैक की आशंका जताई जा रही है, जिसमें सिस्टम को लॉक कर दिया जाता है और फिरौती मांगी जाती है।
हालांकि अभी तक किसी समूह ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। यूरोपीय साइबर सिक्योरिटी सेंटर (ENISA) मामले की गहन जांच कर रहा है।
इस हमले की वजह से यूरोप से एशिया और अमेरिका जाने वाली कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हुईं। कुछ उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा, जबकि कई को देर से उड़ान भरनी पड़ी।
भारतीय यात्रियों की भी एक बड़ी संख्या इसमें प्रभावित हुई। दिल्ली और मुंबई से ब्रसेल्स और पेरिस जाने वाली उड़ानों में यात्रियों को बोर्डिंग के समय भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि आधुनिक दुनिया में साइबर सुरक्षा कितनी अहम हो चुकी है।
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एयरपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर पर साइबर हमले से न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि एयरपोर्ट्स को अब पारंपरिक सिक्योरिटी के साथ-साथ डिजिटल सिक्योरिटी पर भी उतना ही ध्यान देना होगा।
एयरलाइंस और एयरपोर्ट प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि:
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उड़ान से कम से कम 3–4 घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचे।
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एयरलाइन से लगातार संपर्क में रहें और अपडेट्स लेते रहें।
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अपने टिकट और यात्रा दस्तावेजों की हार्ड कॉपी साथ रखें।
साइबर सिक्योरिटी एनालिस्ट्स का कहना है कि यह हमला महज़ शुरुआत हो सकती है। भविष्य में ऐसे हमले और भी बार-बार देखने को मिल सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप जैसे क्षेत्रों में जहां यात्रियों की संख्या लाखों में होती है, वहाँ इस तरह का हमला अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों को खतरे में डाल सकता है।
भारतीय विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस घटना से भारत को सबक लेना चाहिए। देश के प्रमुख हवाई अड्डे—दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद—को साइबर हमलों से बचाने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल सिक्योरिटी सिस्टम की जरूरत है।
भारत सरकार पहले ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और एयरलाइंस को साइबर सिक्योरिटी पर अतिरिक्त निवेश करने की सलाह दे चुकी है।
यूरोप के प्रमुख एयरपोर्ट्स पर हुआ यह साइबर हमला सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के लिए चेतावनी है। ब्रसेल्स समेत कई शहरों के यात्री घंटों परेशानी में रहे और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बाधित हुईं। यह घटना साबित करती है कि आधुनिक दुनिया में हवाई सुरक्षा केवल बॉडी स्कैनर्स और पुलिस पर नहीं, बल्कि मजबूत डिजिटल सिक्योरिटी पर भी निर्भर है।