



मध्य पूर्व में जारी संघर्ष ने एक बार फिर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी विवाद अब अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। इसी बीच, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बड़ा बयान देकर ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी दी है।
नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा कि
“ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकतांत्रिक देशों को फिलिस्तीन का समर्थन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से यह आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने जैसा होगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इजरायल की सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा।
यह बयान उस समय आया है जब गाजा में इजरायली सेना और फिलिस्तीनी संगठनों के बीच भीषण संघर्ष जारी है।
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हजारों लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए हैं।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों से युद्धविराम की अपील कर रहा है।
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लेकिन इजरायल का कहना है कि जब तक उसकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक युद्ध नहीं रुकेगा।
अब तक इन तीनों देशों का रुख संतुलित माना जाता रहा है।
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ब्रिटेन ने मानवीय सहायता की अपील की है लेकिन इजरायल की सुरक्षा का भी समर्थन किया है।
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कनाडा ने फिलिस्तीन के लिए मदद की घोषणा की थी, जिससे इजरायल असंतुष्ट नजर आया।
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ऑस्ट्रेलिया ने भी युद्ध को रोकने की बात कही है लेकिन साथ ही इजरायल को आतंकवाद से लड़ने का अधिकार दिया है।
नेतन्याहू के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि इजरायल और इन देशों के बीच कूटनीतिक तनाव और बढ़ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ लगातार इजरायल से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं।
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हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी गाजा संकट पर बहस हुई।
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कई देशों ने फिलिस्तीन के प्रति समर्थन जताया।
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इजरायल का कहना है कि यह समर्थन आतंकवादी संगठनों को मजबूत करेगा।
नेतन्याहू ने इसी संदर्भ में ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को सीधा संदेश दिया है।
फिलिस्तीन का कहना है कि
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इजरायल ने उनके अधिकारों का हनन किया है।
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लगातार बस्तियों का विस्तार और सैन्य कार्रवाई से आम नागरिक प्रभावित हो रहे हैं।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
फिलिस्तीनी नेता इसे “अस्तित्व की लड़ाई” बता रहे हैं।
इजरायल का सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है।
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अमेरिका ने इजरायल के समर्थन में बयान दिए हैं।
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लेकिन घरेलू दबाव के कारण मानवीय सहायता बढ़ाने की बात भी की है।
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विश्लेषकों का मानना है कि अगर ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया फिलिस्तीन के पक्ष में ज्यादा झुकते हैं तो अमेरिका को भी अपने रुख पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नेतन्याहू का यह बयान घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव दोनों से जुड़ा है।
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इजरायल में विपक्ष उन पर लगातार सवाल उठा रहा है।
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वहीं गाजा युद्ध से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि पर असर पड़ रहा है।
इसलिए उन्होंने अपने सहयोगी देशों को कड़ा संदेश देकर यह दिखाने की कोशिश की है कि इजरायल किसी भी कीमत पर झुकेगा नहीं।
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क्या ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया अपना रुख बदलेंगे?
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क्या गाजा युद्ध में जल्द युद्धविराम होगा?
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क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इजरायल अपने सैन्य अभियान को जारी रखेगा?
ये सवाल आने वाले दिनों की राजनीति और कूटनीति को तय करेंगे।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह बयान सिर्फ तीन देशों के लिए चेतावनी नहीं है, बल्कि यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए संदेश है। गाजा युद्ध ने पहले ही लाखों जिंदगियों को प्रभावित किया है और अब इस पर वैश्विक राजनीति की नजरें टिकी हुई हैं।
नेतन्याहू के बयान से साफ है कि इजरायल फिलिस्तीन के समर्थन को अपनी सुरक्षा के खिलाफ मानता है और वह किसी भी देश को इसमें ढील देने को तैयार नहीं है।