




असम और पूरे भारत के संगीत प्रेमियों के लिए दुखद खबर है। लोकप्रिय असमिया गायक जूबिन गर्ग (Zubeen Garg) का निधन हुआ और उनका अंतिम संस्कार गुवाहाटी में बड़े शोक और श्रद्धांजलि समारोह के साथ संपन्न हुआ।
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जूबिन गर्ग के जीवन और करियर की याद में उनके सबसे प्रिय गीत ‘मायाबिनी रातीर बुकुत’ को अंतिम यात्रा के दौरान बजाया गया।
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गायक के प्रशंसकों ने इस गीत को एक श्रृद्धांजलि और एंथम के रूप में गाया।
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गुवाहाटी की सड़कों पर फैन्स ने कैंडल मार्च और नारेबाजी के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त की।
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हजारों प्रशंसक और संगीत प्रेमियों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
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कुछ फैन्स ने अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा—
“जूबिन गर्ग केवल गायक नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान थे। उनका संगीत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा।” -
श्रद्धांजलि सभा में गायक के जीवन और योगदान पर स्पेशल वीडियो और तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
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जूबिन गर्ग असम और पूर्वोत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय गायक और संगीतकारों में से एक थे।
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उन्होंने असमिया फिल्म, एल्बम और नाटकों के लिए सैकड़ों गीत गाए।
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उनका संगीत न केवल मनोरंजन का स्रोत था बल्कि असम और पूर्वोत्तर की संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करता था।
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‘मायाबिनी रातीर बुकुत’ उनका सबसे प्रिय और प्रतीकात्मक गीत माना जाता है, जिसे अंतिम संस्कार में बजाने का फैसला उनके प्रशंसकों और परिवार ने किया।
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जूबिन गर्ग के परिवार ने सोशल मीडिया पर फैन्स से अपील की कि वे इस दुख की घड़ी में संयम रखें।
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परिवार ने कहा—
“जूबिन गर्ग का योगदान असम और भारतीय संगीत को हमेशा याद रहेगा। हम चाहते हैं कि उनके गीत हमेशा हमारे दिलों में गूँजते रहें।” -
कई सहयोगियों और फिल्म उद्योग के साथी भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए और गायक को अंतिम विदाई दी।
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जूबिन गर्ग के निधन की खबर के बाद सोशल मीडिया पर #RIPZubeenGarg ट्रेंड करने लगा।
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फैन्स ने अपने अनुभव साझा किए और उनके गीतों को याद किया।
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कई कलाकारों ने भी ट्वीट और पोस्ट के माध्यम से उनके योगदान को सराहा और परिवार के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त की।
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जूबिन गर्ग केवल गायक नहीं थे; वे असम की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक थे।
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उनके गीतों ने स्थानीय भाषा और संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने में मदद की।
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उनके निधन से असमिया संगीत और फिल्म इंडस्ट्री में एक अपरिवर्तनीय शून्य पैदा हुआ है।
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अंतिम संस्कार में गायक के पसंदीदा संगीत और फूलों की सजावट शामिल थी।
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गुवाहाटी की मुख्य सड़क पर उनके जीवन और संगीत को समर्पित एंथम के रूप में मार्च निकाला गया।
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प्रशंसकों ने अपने हाथों में फोटो और पोस्टर्स लिए हुए गायक के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की।
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उनके अनुयायियों का कहना है कि जूबिन गर्ग ने असम और पूर्वोत्तर के युवा कलाकारों को प्रेरित किया।
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उन्होंने कई संगीत विद्यालयों और युवा प्रतिभाओं के लिए मंच तैयार किया।
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उनका संगीत अब भी नए गायक और संगीतकारों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता रहेगा।
जूबिन गर्ग का निधन केवल उनके परिवार और फैन्स के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे असम और भारतीय संगीत जगत के लिए एक विशाल नुकसान है।
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‘मायाबिनी रातीर बुकुत’ जैसे गीतों के माध्यम से उनका संगीत हमेशा जीवित रहेगा।
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गुवाहाटी में उनके अंतिम संस्कार ने यह संदेश दिया कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और भावनाओं का प्रतीक भी होता है।
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आज जूबिन गर्ग के फैन्स ने अपने गायक को आखिरी विदाई दी, लेकिन उनके गीत और योगदान हमेशा हमारे बीच गूँजते रहेंगे।