




केरल के कन्नूर जिले में उस समय हड़कंप मच गया जब एक सुनहरी सियार (Golden Jackal) ने अचानक ग्रामीणों पर हमला कर दिया। इस हमले में कम से कम छह लोग घायल हो गए। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार, घटना मंगलवार सुबह की है, जब सियार अचानक गांव में दाखिल हुआ और लोगों को निशाना बनाने लगा। शुरुआत में लोगों ने उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन वह और आक्रामक हो गया। देखते ही देखते कई लोग उसकी चपेट में आ गए।
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने बताया कि सियार संभवतः भोजन और पानी की तलाश में आबादी वाले क्षेत्र में आ गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों में लगातार घटते आवास और इंसानी दखल के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों में अब भी डर का माहौल है। लोग शाम ढलने के बाद बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता ने प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
वन विभाग ने गांव के आसपास सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इसके लिए जाल बिछाए जा रहे हैं ताकि सियार को पकड़कर वापस जंगल में छोड़ा जा सके। विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे बिना वजह अफवाहें न फैलाएं और सतर्क रहें।
स्थानीय प्रशासन ने भी घटना को गंभीरता से लिया है। पुलिस और वन विभाग मिलकर गांव की निगरानी कर रहे हैं। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है और डॉक्टरों ने बताया कि सभी लोग खतरे से बाहर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुनहरी सियार आम तौर पर मनुष्यों पर हमला नहीं करता। लेकिन जब वह खुद को खतरे में महसूस करता है या लंबे समय तक भूखा रहता है, तो वह आक्रामक हो सकता है। ऐसे मामलों में इंसानों को उससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।
पिछले कुछ सालों में केरल और कर्नाटक के कई ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। इंसान और वन्यजीव के बीच बढ़ता संघर्ष चिंता का विषय है। पर्यावरणविदों का कहना है कि जंगलों के सिमटने और शहरीकरण के फैलाव ने वन्यजीवों को मजबूर किया है कि वे भोजन और आश्रय की तलाश में गांवों और शहरों का रुख करें।
घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। कई ग्रामीणों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है। वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि सियार को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा और ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
कन्नूर की यह घटना एक बार फिर इंसान और वन्यजीव के बीच बढ़ते संघर्ष की ओर इशारा करती है। ग्रामीणों की सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाना सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।