




राजधानी दिल्ली के पॉश इलाके की एक आलीशान कोठी, बाहर से देखने पर यह जगह किसी शांत मठ या आश्रम की तरह नजर आती थी। यहां तक कि इसे मैनेजमेंट संस्थान का रूप भी दिया गया था। लेकिन इसके भीतर जो खेल लंबे समय से चल रहा था, वह सामने आने के बाद पूरे समाज को झकझोर कर रख देने वाला है।
यहां संचालक के रूप में खुद को आध्यात्मिक गुरु बताने वाला स्वामी चैतन्यानंद रहता था। बाहर से भक्ति और शिक्षा का जाल फैलाया गया, लेकिन अंदर का सच बेहद खौफनाक निकला। छात्राओं ने खुलासा किया कि इस मठ और संस्थान की आड़ में उनके साथ अश्लील हरकतें की जाती थीं और मानसिक व शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता था।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि स्वामी चैतन्यानंद बड़े ही सुनियोजित तरीके से लड़कियों का चुनाव करता था। वह पहले उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवचन के जरिए अपने जाल में फंसाता और फिर शिक्षा या करियर में मदद करने का लालच देता। एक बार विश्वास हासिल होने पर वह अपने असली इरादे सामने लाता। पीड़िताओं के मुताबिक, यह खेल कई सालों से चल रहा था।
आश्रम और कॉलेज के माहौल में छात्राओं को यह लगता कि वे सुरक्षित हाथों में हैं। लेकिन रात के अंधेरे में इस आलीशान इमारत की हकीकत बिल्कुल अलग थी। यहां धर्म और शिक्षा की आड़ में न केवल छात्राओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई, बल्कि उन्हें चुप रहने की धमकियां भी दी जाती थीं। बताया जाता है कि विरोध करने वाली छात्राओं को करियर बर्बाद करने और सामाजिक बदनामी फैलाने की धमकी दी जाती थी।
मामला तब उजागर हुआ जब कुछ साहसी छात्राओं ने चुप्पी तोड़कर अपनी पीड़ा साझा की। धीरे-धीरे यह जानकारी सामने आने लगी कि यह कोई एक-दो घटनाएं नहीं, बल्कि एक पूरे रैकेट की तरह का खेल था, जिसमें मासूम छात्राओं के भविष्य और विश्वास के साथ खिलवाड़ किया गया।
समाज और शहर की चकाचौंध में लोग शायद ही कभी इस आलीशान कोठी की हकीकत जान पाए हों। बाहर से चमक-दमक और अंदर से गंदगी का यह खेल अब न्यायिक जांच के घेरे में है। पुलिस ने पीड़िताओं के बयान दर्ज किए हैं और मामले की गंभीरता को देखते हुए कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल एक व्यक्ति का अपराध होगा बल्कि धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगा। कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां धार्मिक आस्था और शिक्षा की आड़ में मासूमों का शोषण होता है। इसीलिए समाज को सतर्क रहने की जरूरत है कि अंधविश्वास या दिखावे में आकर किसी भी संस्था या व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा न किया जाए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे लंबे समय से इस कोठी को एक आश्रम और कॉलेज के रूप में जानते थे, लेकिन भीतर क्या हो रहा है, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। अब जब सच सामने आया है तो लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
यह घटना न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि ऐसे ढोंगी गुरुओं और नकली संस्थानों से सावधान रहें। शिक्षा और धर्म का इस्तेमाल जहां लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए, वहीं जब इसका दुरुपयोग कर मासूम जिंदगियों के साथ खिलवाड़ किया जाता है, तो यह पूरे समाज के लिए शर्मनाक है।
पीड़ित छात्राओं ने अब कानून और समाज से न्याय की गुहार लगाई है। यह देखना होगा कि आने वाले समय में जांच किस दिशा में जाती है और दोषियों को क्या सजा मिलती है। लेकिन इतना जरूर है कि यह मामला समाज के सामने एक बार फिर यह सवाल छोड़ गया है – कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए किस पर भरोसा करें?