




भारतीय वायुसेना के एक युग का अंत हो गया जब MiG-21 लड़ाकू विमान ने भारतीय आकाश में अपनी आखिरी उड़ान भरी। यह विमान भारतीय वायुसेना के नंबर 23 स्क्वाड्रन से था, जिसे प्यार से “पैंथर्स” के नाम से जाना जाता है। इस ऐतिहासिक पल को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन में आयोजित विदाई समारोह के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने “राष्ट्रीय गौरव” करार दिया। MiG-21 को भारतीय वायुसेना में 1960 के दशक से सेवा में रखा गया था और इसने भारत-पाकिस्तान युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
MiG-21, जिसे “फ्लाइंग डार्ट” भी कहा जाता था, सोवियत संघ द्वारा निर्मित एक सुपर सोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट था, जिसे भारतीय वायुसेना में 1960 के दशक में शामिल किया गया था। इस विमान ने भारतीय वायुसेना को अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन, तेज गति, और सुविधाजनक डिजाइन के कारण एक शक्तिशाली रक्षा उपकरण के रूप में स्थापित किया। MiG-21 का भारतीय वायुसेना के कई युद्धों में अहम योगदान रहा। खासकर 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 का कारगिल युद्ध, जहां इस विमान ने अपनी सैन्य शक्ति का लोहा मनवाया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने MiG-21 के विदाई समारोह में कहा, “MiG-21 न केवल हमारे लिए एक विमान था, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन चुका था। यह विमान न केवल भारतीय वायुसेना के पायलटों के लिए एक विश्वसनीय साथी था, बल्कि इसने कई युद्धों में अपनी वीरता और ताकत से भारतीय हवाई रक्षा को मजबूती दी।” उन्होंने इसे भारतीय वायुसेना के महान युग का हिस्सा बताया और इसके योगदान को हमेशा याद करने का आह्वान किया।
राजनाथ सिंह ने इस विमान की सेवा को न केवल सैन्य इतिहास बल्कि भारतीय वायुसेना के धैर्य और समर्पण का प्रतीक भी बताया। इसके साथ ही उन्होंने नई पीढ़ी के विमानों के साथ भारतीय वायुसेना के आधुनिकरण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।
MiG-21 की विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन में आयोजित किया गया, जो इस विमान के लिए एक सम्मानजनक विदाई का पल था। इस समारोह में भारतीय वायुसेना के कई वरिष्ठ अधिकारी, रिटायर हुए पायलट और सैन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे। MiG-21 को विदाई देने के साथ ही, वायुसेना ने इस विमान के साथ जुड़े अपने ऐतिहासिक अनुभवों और संघर्षों को साझा किया। इस अवसर पर कई पायलटों ने अपनी स्मृतियाँ और अनुभव साझा किए, जिनमें MiG-21 के साथ बिताए गए वर्षों का वर्णन किया।
नंबर 23 स्क्वाड्रन, जिसे “पैंथर्स” के नाम से जाना जाता है, के पायलटों ने भी इस विमान के साथ अपनी यात्रा को याद किया। इन पायलटों का कहना था कि MiG-21 ने उन्हें अत्याधुनिक युद्ध अभियानों में सफलता प्राप्त करने का मौका दिया, और इसके साथ उनका संबंध हमेशा एक गौरवमयी अनुभव रहेगा।
MiG-21 ने अपने समय में भारतीय वायुसेना को सबसे विश्वसनीय और तेज़ लड़ाकू विमान के रूप में स्थापित किया। यह विमान वायुसेना के पायलटों को मशहूर युद्धक स्थितियों में सफलता दिलाने में मददगार रहा। MiG-21 के बेड़े में 500 से ज्यादा विमान शामिल थे, और इन विमानों ने कई प्रमुख सैन्य अभियानों का हिस्सा बनकर भारतीय आकाश को सुरक्षित किया।
MiG-21 का रिटायर होना एक ऐतिहासिक और भावुक पल है, क्योंकि यह भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम युग का हिस्सा था। इस विमान ने भारत की सीमाओं पर सैन्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ नया लड़ाकू विमान तैयार करने की दिशा में भी भारत की रणनीति को मजबूती दी।
अब जब MiG-21 रिटायर हो चुका है, भारतीय वायुसेना अपनी नई पीढ़ी के विमानों जैसे राफेल, तेजस, और सुखोई की ओर बढ़ रही है। इन विमानों ने वायुसेना की रक्षा शक्ति को और बढ़ाया है। राफेल विमानों की खरीद से भारतीय वायुसेना को नई तकनीकी ताकत मिली है, जिससे आने वाले समय में वायुसेना और भी मजबूत हो जाएगी।
लेकिन, MiG-21 के साथ जुड़ी हुई स्मृतियाँ और अनुभव भारतीय वायुसेना में हमेशा जीवित रहेंगी। इसे भारतीय आकाश के एक महान युग के रूप में याद किया जाएगा, जिसने वायुसेना के इतिहास में अपने महत्वपूर्ण स्थान को सुनिश्चित किया।
MiG-21 ने भारतीय वायुसेना को एक मजबूत और प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित किया था और इसके योगदान को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसे राष्ट्रीय गौरव करार दिया, और इस विमान की विदाई ने भारतीय वायुसेना के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त कर दिया। MiG-21 का रिटायरमेंट भारतीय वायुसेना की आधुनिकरण प्रक्रिया की ओर एक कदम है, लेकिन यह विमान हमेशा भारतीय वायुसेना के इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाए रखेगा।