




भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुई व्यापार और निवेश वार्ताओं को लेकर सरकार ने आधिकारिक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका में “रचनात्मक और सकारात्मक बैठकें” कीं। यह बैठकें अमेरिकी सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ अमेरिका में स्थित प्रमुख कंपनियों और निवेशकों के साथ भी हुईं। हालांकि, भारत सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि अगली आधिकारिक बातचीत कब और कहां होगी।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका में अपने समकक्षों के साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इनमें द्विपक्षीय व्यापार, निवेश अवसर, टैरिफ नीतियाँ, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और संरचनात्मक सुधार जैसे प्रमुख विषय शामिल रहे। बैठकें यूएस ट्रेजरी, वाणिज्य विभाग और यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव कार्यालय के अधिकारियों के साथ हुईं।
इसके साथ ही भारत ने अमेरिका की प्रमुख कंपनियों और निवेशकों के साथ भी मीटिंग की, जिसमें भारत में निवेश को बढ़ावा देने, स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग, और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर विशेष ध्यान दिया गया।
बैठकों में जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ, वे थे:
-
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटा कम करने की रणनीति
-
टेक्नोलॉजी, फार्मास्यूटिकल और रक्षा क्षेत्र में सहयोग
-
भारतीय बाजार में अमेरिकी निवेश को प्रोत्साहित करने के उपाय
-
भारत की “मेक इन इंडिया” नीति के तहत विदेशी निवेश को बढ़ाना
-
वीज़ा नीतियों में लचीलापन
-
ग्लोबल सप्लाई चेन में सहयोग
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया, जिनके साथ वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और नीति आयोग के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वार्ताएं बेहद रचनात्मक और संवादपूर्ण रहीं, लेकिन अगली औपचारिक बातचीत की कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं:
-
रणनीतिक लचीलापन बनाए रखने की नीति
सरकार किसी भी जल्दबाज़ी में आधिकारिक तारीख घोषित कर विवाद या दबाव नहीं चाहती। -
जमीनी मुद्दों पर अधिक तैयारी की जरूरत
कई सेक्टर्स में अभी भी स्पष्ट नीति निर्धारण और दोनों पक्षों की आपसी सहमति जरूरी है। -
अमेरिकी चुनावी माहौल
अमेरिका में आगामी चुनावों की तैयारियों के चलते दोनों देशों की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं। -
भारत में विधानसभा चुनावों का प्रभाव
भारत में भी कुछ राज्यों में चुनावी मौसम के कारण नीति-निर्माण प्रक्रिया पर अस्थिरता हो सकती है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक करने वाली कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत के प्रति निवेश को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया। टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, डिफेंस और ग्रीन एनर्जी कंपनियों ने भारत में दीर्घकालिक निवेश की इच्छा जताई।
कंपनियों ने भारत सरकार से टैक्स व्यवस्था में सरलता, तेजी से मंजूरी प्रक्रिया, और नीति स्थिरता की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत के उभरते बाजार में उनकी उपस्थिति से दोनों देशों को लाभ हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठकें भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई ऊर्जा देने में सहायक होंगी। हालांकि अगली तारीख की घोषणा न होना एक रणनीतिक चुप्पी है, जिसका उद्देश्य अधिक ठोस परिणामों के लिए जमीन तैयार करना है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अब न केवल अमेरिका से तकनीक और निवेश चाहिए, बल्कि अपनी वैश्विक लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला को भी मज़बूत बनाना है, जिसमें अमेरिका एक अहम साझेदार हो सकता है।
-
भारत और अमेरिका के अधिकारी अब अगले कुछ हफ्तों में टेक्निकल लेवल की बातचीत करेंगे
-
व्यापार और निवेश समझौतों का मसौदा तैयार किया जाएगा
-
संभवतः अगले द्विपक्षीय वार्ता सत्र की तारीख अक्टूबर या नवंबर में घोषित की जा सकती है
-
दोनों देश इस बार बातचीत को “परिणाम आधारित रणनीति” के तौर पर देख रहे हैं
भारत और अमेरिका के बीच हुई यह रचनात्मक बैठकें निश्चित रूप से दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई दिशा दे सकती हैं। हालांकि, अगली वार्ता की तारीख को लेकर रहस्य बना हुआ है, लेकिन जिस तरह से कंपनियों और निवेशकों का रुख सकारात्मक है, उससे स्पष्ट है कि दोनों देश इस साझेदारी को दीर्घकालिक रूप देना चाहते हैं।
सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि वह इस संवाद को केवल कूटनीतिक बातचीत न बनाकर जमीनी परिणामों तक पहुंचाए। वहीं, उद्योग जगत को भी इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।