




कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने वाराणसी की स्पेशल MP/MLA कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ एक पुराने बयान को लेकर निचली अदालत को सुनवाई का आदेश दिया गया था।
यह मामला अमेरिका में भारत के सिख समुदाय पर की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसे लेकर एक याचिकाकर्ता ने वाराणसी में उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी।
राहुल गांधी ने वर्ष 2023 में अमेरिका दौरे के दौरान एक जनसभा में कहा था कि “भारत में सिखों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।” इस बयान को लेकर आरोप लगाया गया कि उन्होंने देश की छवि को धूमिल करने की कोशिश की और सिख समुदाय के खिलाफ भावनाएं भड़काई।
इस बयान के खिलाफ एक याचिकाकर्ता ने वाराणसी में ACJM (अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए शिकायत खारिज कर दी थी कि यह घटना भारत के बाहर घटी है और अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती।
बाद में स्पेशल MP/MLA कोर्ट, वाराणसी ने ACJM के आदेश को पलटते हुए केस की पुनर्समीक्षा के आदेश दिए और निचली अदालत से मामले में फिर से सुनवाई करने को कहा।
स्पेशल कोर्ट के फैसले को राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि:
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यह मामला भारत की सीमा से बाहर का है, अतः भारतीय अदालतों का क्षेत्राधिकार नहीं बनता।
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स्पेशल कोर्ट ने प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए आदेश पारित किया।
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याचिकाकर्ता ने गलत मंशा से यह शिकायत दर्ज कराई है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की इन दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि:
“प्रथम दृष्टया ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जिससे स्पेशल कोर्ट के आदेश को अमान्य ठहराया जा सके। निचली अदालत को यह अधिकार है कि वह मामले की वैधता की पुनर्समीक्षा करे।”
इस तरह, अब निचली अदालत को पुनः केस की सुनवाई करने की अनुमति मिल गई है।
कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह “राजनीतिक दबाव में किया गया निर्णय है”, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इसे न्याय का स्वागत योग्य कदम बताया है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:
“राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत एक वैश्विक मंच से विचार रखे थे। उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है।”
भाजपा प्रवक्ता का बयान:
“देश को बदनाम करने वालों को कानून के कठघरे में लाना जरूरी है। अदालत ने बिल्कुल सही किया है।”
अब मामला पुनः वाराणसी की ACJM कोर्ट में जाएगा, जहां मजिस्ट्रेट यह तय करेंगे कि इस शिकायत पर आगे कार्रवाई की जानी चाहिए या नहीं। यदि प्रथम दृष्टया प्रमाण पाए जाते हैं, तो राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी हो सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में अदालतों के अधिकार क्षेत्र का सवाल काफी जटिल है। यदि बयान विदेश में हुआ हो लेकिन उसके प्रभाव भारत में महसूस किए जा रहे हों, तो भारतीय अदालतें भी कार्यवाही कर सकती हैं।
इसके अलावा, यह भी देखा जाएगा कि क्या राहुल गांधी की टिप्पणी सामूहिक भावनाओं को आहत करने, समाज में वैमनस्य फैलाने, या देश की छवि खराब करने के इरादे से की गई थी।
राहुल गांधी को हाईकोर्ट से मिली यह हार न केवल एक कानूनी झटका है, बल्कि उनके राजनीतिक विरोधियों को भी हमले का मौका दे सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि निचली अदालत इस केस को कैसे आगे बढ़ाती है और क्या यह मामला और भी जटिल मोड़ लेता है।