




महाराष्ट्र औद्योगिक विकास की दिशा में लगातार बड़े कदम उठा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर में राज्य की पकड़ मजबूत करने के लिए कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इसी कड़ी में नाशिक जिले के अद्वान पर्डेवी (Advan Pardewi) गांव में महिंद्रा का बड़ा EV प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय किसानों और ग्रामीणों में नाराज़गी देखने को मिल रही है।
महिंद्रा का मेगा EV प्रोजेक्ट
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में महिंद्रा को EV निर्माण और अनुसंधान (Research & Development) के लिए भूमि उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत नाशिक को एक ईवी हब के रूप में विकसित करने की योजना है।
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प्रोजेक्ट से हजारों युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है।
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यह महाराष्ट्र के ग्रीन मोबिलिटी मिशन का हिस्सा है।
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महिंद्रा यहां EV निर्माण इकाई, बैटरी असेंबली और R&D सेंटर स्थापित करेगा।
सरकार का मानना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल नाशिक बल्कि पूरे मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र को औद्योगिक नक्शे पर नई पहचान देगा।
भूमि अधिग्रहण पर किसानों की आपत्ति
प्रोजेक्ट के लिए अद्वान पर्डेवी और आसपास के इलाकों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। हालांकि, स्थानीय किसानों ने इस अधिग्रहण का विरोध शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि:
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उन्हें अब तक उचित मुआवजा राशि तय कर स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
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भूमि अधिग्रहण से उनकी खेती-किसानी प्रभावित होगी।
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कई परिवारों को उचित पुनर्वास और वैकल्पिक जमीन की आवश्यकता है।
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार का पक्ष
महाराष्ट्र सरकार और नाशिक जिला प्रशासन का कहना है कि यह प्रोजेक्ट राज्य के औद्योगिक भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।
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किसानों को मार्केट रेट से अधिक मुआवजा देने का भरोसा दिया जा रहा है।
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पुनर्वास की नीति के तहत प्रभावित परिवारों के लिए पैकेज तैयार किया जा रहा है।
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प्रोजेक्ट से ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सुधार होगा।
जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सभी प्रभावित लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखकर समाधान किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह किसानों की जमीन को औद्योगिक घरानों को सौंप रही है।
वहीं, सत्तापक्ष का कहना है कि राज्य की प्रगति और रोजगार सृजन के लिए इस तरह के प्रोजेक्ट जरूरी हैं। विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है।
स्थानीय युवाओं की उम्मीदें
जहां किसान भूमि अधिग्रहण से परेशान हैं, वहीं स्थानीय युवा इस प्रोजेक्ट को लेकर उत्साहित भी हैं। उनका कहना है कि अगर यह प्रोजेक्ट नाशिक में आता है तो यहां रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग आने वाले समय में तेजी से बढ़ेगा और इसमें महाराष्ट्र को अग्रणी भूमिका निभाने का मौका मिलेगा।
महाराष्ट्र की EV नीति
महाराष्ट्र सरकार ने 2025 तक राज्य को EV निर्माण और उपयोग का हब बनाने का लक्ष्य रखा है।
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इसके लिए सरकार ने सब्सिडी, कर छूट और भूमि आवंटन जैसी सुविधाएं कंपनियों को देने का फैसला किया है।
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महिंद्रा, टाटा और ओला जैसी कंपनियां पहले से ही राज्य में EV निवेश कर रही हैं।
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नाशिक को इस नीति में एक रणनीतिक स्थान माना जा रहा है।
विवाद और समाधान की राह
हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसानों की सहमति के बिना कोई भूमि अधिग्रहण जबरन नहीं होगा। फिर भी, जमीन पर तेजी से काम शुरू करने की कोशिशें विवाद को और गहरा सकती हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि:
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किसानों को न्यायसंगत मुआवजा और शेयर मॉडल दिया जाए।
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स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार मिले।
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शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश कर सामाजिक जिम्मेदारी निभाई जाए।
नाशिक के अद्वान पर्डेवी में महिंद्रा का EV प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के लिए एक बड़ा औद्योगिक अवसर है। यह राज्य को ग्रीन मोबिलिटी की दिशा में अग्रणी बना सकता है। लेकिन भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद और किसानों की नाराज़गी इस प्रोजेक्ट की राह में बड़ी चुनौती हैं।