




बिहार में इस साल एक अनूठा उत्सव मनाया जाएगा। राज्य में चार दिवाली मनाने की तैयारी है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उन्होंने 160 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जो राजनीतिक माहौल को और गरमाएगा।
चार दिवाली का उत्सव बिहार की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। इसे विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द्र और एकता का प्रतीक माना जाता है। इस बार यह त्योहार विशेष रूप से मनाया जाएगा, जिससे बिहार में सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिले।
यहां पर हर समुदाय अपनी परंपराओं के अनुसार दिवाली मनाता है, जिसके कारण पूरे राज्य में चार अलग-अलग दिवाली का जश्न होता है। इससे न केवल सांस्कृतिक विविधता का सम्मान होता है, बल्कि यह बिहार के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
अमित शाह ने हाल ही में बिहार के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए स्पष्ट किया कि भाजपा इस चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करेगी। उन्होंने 160 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। अमित शाह के अनुसार, बिहार में विकास कार्यों और योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन ही इस जीत की कुंजी है।
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे मेहनत और ईमानदारी से जनता तक पार्टी के विकास मॉडल को पहुंचाएं। उनका मानना है कि जनता बदलाव चाहती है और भाजपा इस बदलाव की सबसे मजबूत ताकत है।
अमित शाह ने इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राजद के नेता तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने देश और बिहार के विकास में कभी कोई सार्थक योगदान नहीं दिया। उन्होंने तेजस्वी यादव को “अराजकता फैलाने वाला” बताया और कहा कि उनके पास कोई ठोस योजना नहीं है।
अमित शाह ने दावा किया कि राहुल और तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार पिछड़ा हुआ राज्य बने रहेगा और लोग उनके असफल नेतृत्व से त्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ही बिहार को विकास के पथ पर ले जाने वाली पार्टी है।
BJP ने बिहार में अपनी चुनावी रणनीति को और मजबूत किया है। पार्टी ने संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने के लिए कई बैठकें और कार्यशालाएं आयोजित की हैं। अमित शाह खुद भी बिहार आकर कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं।
पार्टी ने युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए विशेष योजनाओं को चुनावी मुद्दा बनाया है। इसके साथ ही, विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए प्रचार अभियान तेज किया जा रहा है।
बिहार की राजनीति में यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है। चार दिवाली जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के बीच चुनावी रणनीति को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
राजद और कांग्रेस ने अमित शाह के हमलों का जवाब देते हुए कहा है कि भाजपा केवल प्रचार कर रही है, जबकि जनता असली मुद्दों को समझ रही है। तेजस्वी यादव ने भी कहा कि बिहार के लोग विकास चाहते हैं न कि दावे।
बिहार में इस बार चार दिवाली का उत्सव एक नई ऊर्जा लेकर आया है, वहीं राजनीतिक हलकों में अमित शाह के चुनावी दावों ने गर्माहट बढ़ा दी है। आगामी चुनाव बिहार की दिशा तय करने वाला साबित होगा।
राजनीतिक दलों की रणनीतियां, जनसंपर्क और विकास के मुद्दे चुनाव के दिन तक चर्चा का विषय बने रहेंगे। बिहार की जनता इस बार अपने वोट से तय करेगी कि वह विकास, सांस्कृतिक समरसता और राजनीतिक स्थिरता किसे देना चाहती है।