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    कौन हैं मौलाना तौकीर रजा? I Love Muhammad विवाद से बरेली में बवाल, पुलिस-पब्लिक में भिड़ंत

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    उत्तर प्रदेश में इन दिनों I Love Muhammad विवाद ने तूल पकड़ लिया है। कानपुर से शुरू हुई यह बहस अब बरेली तक पहुंच चुकी है, जहां शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भारी बवाल देखने को मिला। भीड़ के आह्वान पर सुन्नी मुसलमानों के बड़े नेता मौलाना तौकीर रजा भी सामने आए और प्रदर्शन का ऐलान कर दिया।

    पुलिस ने जैसे ही प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया, भीड़ भड़क गई और पथराव शुरू हो गया। हालात इस कदर बिगड़े कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। परिणामस्वरूप पुलिस और भीड़ के बीच सीधी भिड़ंत हो गई, जिसमें करीब 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

    यह सवाल अब और भी अहम हो गया है कि आखिर मौलाना तौकीर रजा कौन हैं और उनका राजनीतिक एवं सामाजिक सफर कैसा रहा है?

    कौन हैं मौलाना तौकीर रजा?

    मौलाना तौकीर रजा खान बरेलवी समाज के एक बड़े धार्मिक और राजनीतिक नेता माने जाते हैं। वे बरेली शरीफ के आला हजरत अहमद रजा खान की वंश परंपरा से आते हैं और इसलिए उनका मुस्लिम समाज में खासा प्रभाव है।

    उनका संगठन इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर सक्रिय रहा है। यही वजह है कि वे जब भी कोई ऐलान करते हैं, हजारों लोग सड़कों पर उतर आते हैं।

    राजनीतिक सफर: कांग्रेस से लेकर सपा तक

    मौलाना तौकीर रजा सिर्फ धार्मिक नेता ही नहीं, बल्कि सक्रिय राजनेता भी रहे हैं। उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है।

    1. कांग्रेस से नाता – 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले वे कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े थे। उस समय मुस्लिम वोटबैंक साधने की रणनीति के तहत कांग्रेस ने उन्हें जगह दी थी।

    2. सपा के करीब – बाद में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे समाजवादी पार्टी (सपा) के नजदीक आए। अखिलेश यादव के साथ उनके रिश्ते चर्चा में रहे। कई बार वे सपा के पक्ष में मुस्लिम वोटों को साधने की अपील करते रहे हैं।

    3. स्वतंत्र पहचान – कांग्रेस और सपा से जुड़ाव के बावजूद उन्होंने अपनी अलग राजनीतिक पहचान भी बनाई। उनका संगठन IMC आज भी बरेली और आसपास के इलाकों में सक्रिय है।

    I Love Muhammad विवाद: कैसे शुरू हुआ?

    यह विवाद कानपुर से शुरू हुआ था, जहां सोशल मीडिया पर I Love Muhammad को लेकर पोस्ट और नारेबाजी ने धार्मिक माहौल को गर्मा दिया। इसके बाद यह मुद्दा तेजी से अन्य जिलों में फैल गया।

    बरेली में जब जुमे की नमाज हुई, तो मौलाना तौकीर रजा ने अपने समर्थकों के साथ इस पर प्रदर्शन का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज अपनी आस्था के मुद्दों पर चुप नहीं बैठ सकता।

    पुलिस और प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत

    जुमे की नमाज के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। पुलिस प्रशासन ने पहले से ही एहतियात बरता था और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। लेकिन जैसे ही भीड़ आगे बढ़ी, पुलिस ने रोकने की कोशिश की।

    भीड़ के उग्र होते ही पथराव शुरू हो गया। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हुई, जिसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि कई प्रदर्शनकारी भी चोटिल हुए।

    प्रशासन की सख्ती

    बरेली प्रशासन ने हिंसा को काबू में करने के लिए अतिरिक्त फोर्स बुलाया। कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है। इंटरनेट सेवाओं पर भी निगरानी रखी जा रही है ताकि अफवाहों पर रोक लगाई जा सके।

    जिला प्रशासन ने साफ कहा है कि हिंसा फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी और किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

    तौकीर रजा की छवि और विवाद

    मौलाना तौकीर रजा हमेशा से विवादित बयानों और आक्रामक रुख के लिए जाने जाते रहे हैं। वे मुस्लिम समाज के मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं और कई बार उनकी बातें राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर देती हैं।

    उनके समर्थक उन्हें मुस्लिम समाज का बड़ा नेता मानते हैं, वहीं उनके विरोधी उन्हें साम्प्रदायिक राजनीति का चेहरा बताते हैं।

    मुस्लिम वोटबैंक पर असर

    उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम वोटबैंक अहम भूमिका निभाता है। मौलाना तौकीर रजा जैसे नेताओं का प्रभाव चुनावी समीकरणों को प्रभावित करता है। यही कारण है कि कांग्रेस और सपा जैसी पार्टियां उनसे नजदीकी बनाने की कोशिश करती रही हैं।

    I Love Muhammad विवाद ने एक बार फिर मौलाना तौकीर रजा को सुर्खियों में ला दिया है। बरेली में हुई हिंसा ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है और यह साफ हो गया है कि धार्मिक मुद्दों पर उनका असर अब भी बहुत बड़ा है।

    हालांकि, इस घटनाक्रम ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि धार्मिक भावनाओं और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन कैसे बनेगा। मौलाना तौकीर रजा का धार्मिक और राजनीतिक सफर इस बात का संकेत है कि वे आने वाले दिनों में भी उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज में अहम किरदार बने रहेंगे।

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