




नासिक शहर एक बार फिर भक्ति और संस्कृति के रंगों से सराबोर होने वाला है। यहां का बंगाली समुदाय कल से दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत करने जा रहा है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर पूरे शहर में खासकर बंगाली समाज के बीच उत्साह और श्रद्धा का माहौल है।
बंगाली समाज की परंपरा और नासिक में दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा बंगाली समाज का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं की स्थापना, पूजा-अर्चना, मंत्रोच्चारण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नासिक में बसे बंगाली परिवार भी हर साल की तरह इस बार भी बड़े पैमाने पर उत्सव का आयोजन कर रहे हैं। पंडालों की सजावट में इस बार पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। मां दुर्गा की प्रतिमाएं मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनाई गई हैं। पूजा के दौरान पूरे वातावरण में ढाक की धुन, शंखनाद और धुनुची नृत्य की गूंज सुनाई देगी।
कल से होगी शुरुआत
कल यानी रविवार से महोत्सव की शुरुआत होगी। सुबह मां दुर्गा की प्रतिमा का आगमन और स्थापना किया जाएगा। इसके बाद पुजारियों द्वारा विधिवत महास्नान, चंडी पाठ और आरती की जाएगी। शाम के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे जिनमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
दुर्गा पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक समागम भी है। नासिक में बंगाली समाज ने इस बार कई विशेष प्रस्तुतियों की तैयारी की है। बच्चों द्वारा पारंपरिक नृत्य-नाटिका और नाटक। महिलाओं द्वारा धुनुची नृत्य और गीतों की प्रस्तुति। युवाओं द्वारा संगीत और आधुनिक नृत्य। साथ ही, सामूहिक भोज (भोग प्रसाद) का आयोजन होगा जिसमें खिचड़ी, चावल, सब्जी और मिठाइयां परोसी जाएंगी।
स्थानीय समाज की भागीदारी
नासिक में दुर्गा पूजा सिर्फ बंगाली समाज तक सीमित नहीं है। हर साल इसमें स्थानीय मराठी, गुजराती और अन्य समाज भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह त्योहार शहर में सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है।
सुरक्षा और व्यवस्था
उत्सव को देखते हुए आयोजकों ने सुरक्षा और सुविधा पर भी खास ध्यान दिया है। पंडालों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। स्वयंसेवकों की टीम आगंतुकों की मदद करेगी। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधा केंद्र बनाए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस ने भी आसपास के क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने की योजना बनाई है।
त्योहार से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
दुर्गा पूजा को लेकर मान्यता है कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी। बंगाली समाज इसे शक्ति की उपासना के रूप में मनाता है। हर दिन अलग-अलग रूपों में मां की पूजा की जाएगी। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन विशेष महत्व रखते हैं। अष्टमी के दिन कुमारी पूजन और संधि पूजा जैसे आयोजन होंगे।
आर्थिक और सामाजिक असर
नासिक में दुर्गा पूजा का आयोजन स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देता है। पंडाल सजावट, प्रतिमा निर्माण, कपड़े, आभूषण और मिठाई की बिक्री में वृद्धि होती है। स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। समाज के लोग एक साथ आकर सहयोग की भावना का प्रदर्शन करते हैं।
आयोजकों की उम्मीदें
आयोजक मंडल का कहना है कि इस बार कोविड महामारी के बाद पूरी तरह खुला आयोजन हो रहा है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि बड़ी संख्या में लोग उत्सव में शामिल होंगे।
“दुर्गा पूजा हमारे लिए केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान और संस्कृति का हिस्सा है। नासिक में हम इसे उसी जोश और परंपरा के साथ मनाते हैं जैसे कोलकाता या अन्य जगहों पर।” — आयोजक समिति के एक सदस्य ने बताया।
नासिक का बंगाली समुदाय कल से मां दुर्गा की पूजा के लिए एकजुट हो रहा है। यह महोत्सव न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है बल्कि शहर में सामाजिक एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक विविधता का भी संदेश देता है।
दुर्गा पूजा के भव्य आयोजन से नासिक आने वाले दिनों में भक्ति, उल्लास और उत्साह से जगमगाने वाला है।