




सीएल सैनी | समाचार वाणी न्यूज़
शक्ति का महापर्व नवरात्रि देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस वर्ष नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर 2025 को होगा। नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें अलग-अलग भोग अर्पित करने की परंपरा है। भक्तजन मां को भोग तो लगाते हैं, लेकिन सही नियम और अवधि के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दौरान माता रानी के सामने भोग कितनी देर तक रखना उचित है और इसके पीछे क्या धार्मिक मान्यता जुड़ी है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता रानी को भोग लगाकर तुरंत नहीं हटाना चाहिए और न ही घंटों तक रखना चाहिए। सही तरीका यह है कि भोग को मां के सामने लगभग 5 से 15 मिनट तक रखा जाए। इसके बाद भोग को उठाकर प्रसाद के रूप में भक्तों और परिवारजनों में बांट देना चाहिए।
यह माना जाता है कि 5 से 15 मिनट तक भोग रखने से मां की कृपा प्राप्त होती है और प्रसाद पवित्र बना रहता है। अगर भोग को अधिक देर तक रखा जाता है तो उसमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव आने लगता है।
पुराणों और धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि अगर भोग लंबे समय तक देवी-देवताओं के सामने रखा रहे तो उसमें विश्वकसेन, चंदेश्वर, चंडांशु और चांडाली जैसी बुरी शक्तियां प्रवेश कर जाती हैं। इससे भोग अपवित्र हो जाता है और पूजा का पूरा फल भी नहीं मिलता। यही कारण है कि अधिक देर तक भोग रखना अशुभ माना गया है।
माता रानी को अर्पित किया गया भोग, जब प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है, तो इसे मां का आशीर्वाद माना जाता है। धार्मिक परंपरा है कि पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांटना चाहिए और स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। इससे घर-परिवार में सकारात्मकता, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नवरात्रि में माता रानी को भोग अर्पित करते समय केवल समय का ही ध्यान रखना जरूरी नहीं है, बल्कि कुछ और धार्मिक नियम भी माने जाते हैं—
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माता रानी को हमेशा सात्विक और स्वच्छ भोग ही अर्पित करें।
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भोग लगाते समय उनके सामने जल का पात्र जरूर रखें। परंपरा है कि यह जल तांबे या चांदी के लोटे में होना चाहिए।
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भोग बनाने में लहसुन, प्याज और मांसाहार जैसी चीजों का प्रयोग न करें।
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भोग को शुद्धता और पूरी श्रद्धा के साथ तैयार करें और अर्पित करें।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है और प्रत्येक दिन मां को अलग-अलग भोग लगाने की परंपरा है। उदाहरण के लिए—
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पहले दिन मां शैलपुत्री को घी का भोग,
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दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग,
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तीसरे दिन चंद्रघंटा को दूध से बने पकवान,
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इसी प्रकार हर दिन अलग-अलग भोग का महत्व है।
इन भोगों को श्रद्धा से अर्पित करने पर मां की कृपा मिलती है और साधक को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
नवरात्रि का पर्व केवल भक्ति और पूजा का समय ही नहीं है, बल्कि यह हमें अनुशासन और धार्मिक नियमों का पालन करने की भी सीख देता है। माता रानी को भोग अर्पित करते समय 5 से 15 मिनट का समय ही उपयुक्त माना जाता है। इसके बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट देना चाहिए। लंबे समय तक रखा भोग नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जिससे पूजा का फल निष्फल हो सकता है।
इसलिए, नवरात्रि में मां को भोग लगाते समय सही नियम और परंपराओं का पालन करना आवश्यक है। ऐसा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।