




सीएल सैनी | बिहार | समाचार वाणी न्यूज़
बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्होंने खुद इसकी घोषणा करते हुए बताया कि उनकी नई पार्टी का नाम ‘जनशक्ति जनता दल’ होगा। इस घोषणा ने राज्य की राजनीतिक सरगर्मी को और तेज कर दिया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले यह कदम कई समीकरण बदल सकता है।
तेज प्रताप यादव लंबे समय से अपने अलग राजनीतिक रुख और बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहे हैं। कई मौकों पर उनकी शैली और विचारधारा पार्टी लाइन से अलग दिखाई दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी महत्वाकांक्षाओं और नेतृत्व की चाहत ने उन्हें अपनी अलग पार्टी बनाने की ओर प्रेरित किया। घोषणा के दौरान तेज प्रताप यादव ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार में “संपूर्ण बदलाव” लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए वह लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी की घोषणा के साथ ही मौजूदा राजनीतिक दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य की राजनीति वंशवाद और जातीय समीकरणों के दलदल में फंसी हुई है, जिससे असली मुद्दे पीछे छूट गए हैं। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे अहम मुद्दों पर कोई गंभीर काम नहीं हो रहा। उनकी नई पार्टी जनता की आवाज को मजबूत करेगी और युवा, किसान व गरीब तबके को राजनीतिक मुख्यधारा में लाएगी।
तेज प्रताप ने अपनी पार्टी का विजन स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता भ्रष्टाचार-मुक्त शासन और पारदर्शी राजनीति होगी। उन्होंने युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की समस्याओं का समाधान और शिक्षा व्यवस्था में सुधार जैसे मुद्दों को अपनी पार्टी की आधारशिला बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी पार्टी केवल सत्ता पाने के लिए नहीं, बल्कि “जनता की सेवा और बदलाव” के लिए बनी है।
तेज प्रताप यादव की इस घोषणा ने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इससे राजद (RJD) को सीधा नुकसान हो सकता है क्योंकि यादव वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा बंट सकता है। वहीं विपक्षी दल भी इस पर नजर गड़ाए हुए हैं कि नई पार्टी किस हद तक वोटों के समीकरण को प्रभावित करेगी। खासकर जेडीयू और बीजेपी भी इस विकास को अपनी रणनीति में शामिल करने को मजबूर होंगी।
तेज प्रताप की नई पार्टी का ऐलान उनके अपने परिवार और खासतौर पर छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। अब तक तेजस्वी को ही राजद का असली उत्तराधिकारी माना जाता रहा है। ऐसे में बड़े भाई का अलग राह पकड़ना न केवल परिवार के भीतर मतभेद को उजागर करता है, बल्कि राजद की चुनावी रणनीति को भी कमजोर कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू प्रसाद यादव इस नए घटनाक्रम पर क्या रुख अपनाते हैं।
सोशल मीडिया पर तेज प्रताप यादव की इस घोषणा को मिले-जुले प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। उनके समर्थक इसे युवाओं के लिए नई उम्मीद बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे महज राजनीतिक महत्वाकांक्षा करार दे रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि बिहार में पहले से ही दलों की भरमार है, ऐसे में एक और पार्टी बनने से भ्रम की स्थिति और बढ़ सकती है।
तेज प्रताप यादव द्वारा बनाई गई नई पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह पार्टी राज्य की राजनीति में कितना प्रभाव डाल पाएगी, लेकिन इतना तय है कि इससे चुनावी समीकरण ज़रूर बदलेंगे। आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता ही तय करेगी कि तेज प्रताप का यह कदम बिहार के भविष्य में कितना असरदार साबित होता है।