




सीएल सैनी | वाराणसी | समाचार वाणी न्यूज़
वाराणसी में सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुलिस प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। अक्सर देखा जाता था कि लोग अपने वाहनों पर जातिसूचक शब्द जैसे क्षत्रिय, ब्राह्मण, यादव, गुर्जर, मुस्लिम आदि लिखवाकर सड़कों पर चलते थे। यह न केवल दिखावे का प्रतीक बन गया था, बल्कि कई बार सामाजिक तनाव और विवाद का कारण भी बनता था। अब न्यायालय के आदेशों का पालन करवाते हुए वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने साफ कर दिया है कि ऐसे प्रदर्शन पर सख्त रोक लगाई जाएगी।
गुरुवार को पुलिस कमिश्नर खुद सड़क पर उतरे और शहर के विभिन्न इलाकों का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने 12 वाहनों से जातिसूचक शब्द हटवाए। उन्होंने कहा कि अब किसी भी वाहन पर इस तरह के शब्द लिखे पाए गए तो उस वाहन मालिक पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान किया जाएगा। यह नियम दोपहिया, चारपहिया और वाणिज्यिक सभी तरह के वाहनों पर लागू होगा।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि सिर्फ वाहनों पर ही नहीं, बल्कि पुलिस थानों में भी जातिसूचक उल्लेख पर रोक लगाई जा रही है। अब किसी एफआईआर, बरामदगी पंचनामा, गिरफ्तारी मेमो, तलाशी मेमो या थानों के नोटिस बोर्ड पर अभियुक्तों की जाति दर्ज नहीं होगी। यह कदम न्यायालय के निर्देशों और संविधान की मूल भावना के अनुरूप उठाया गया है, जिससे हर नागरिक को समान दर्जा मिल सके।
पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा कि वाहनों पर जातिसूचक शब्दों की तरह ही जातिगत रैलियां और प्रदर्शन भी प्रतिबंधित रहेंगे। ऐसे आयोजनों से समाज में भेदभाव और तनाव फैलने की संभावना रहती है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि कोई भी संगठन या व्यक्ति यदि इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह पूरा अभियान न्यायालय के आदेशों के पालन की दिशा में उठाया गया कदम है। हाल के वर्षों में अदालतों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जातिसूचक शब्दों का प्रदर्शन समाज को बांटने वाला है और इसे रोका जाना चाहिए। वाराणसी पुलिस ने इस आदेश को जमीन पर लागू कर यह उदाहरण पेश किया है कि प्रशासन यदि ठान ले तो सामाजिक सुधार संभव है।
पुलिस कमिश्नर ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी गाड़ियों और घरों पर जातिसूचक शब्द लिखने से बचें। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत इसकी विविधता और एकता है। हमें किसी भी स्थिति में ऐसे कार्यों से बचना चाहिए जो समाज को विभाजित करें। लोगों से अनुरोध किया गया कि वे इस नियम को सकारात्मक दृष्टि से लें और इसे समाज में सद्भाव बनाए रखने का प्रयास मानें।
पुलिस के इस अभियान का असर तुरंत देखने को मिला। कई वाहन मालिकों ने स्वयं आगे आकर अपनी गाड़ियों से ऐसे शब्द हटाए। वहीं कुछ लोगों ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन का मानना है कि इस नियम के सख्त पालन से आने वाले समय में जातिगत भेदभाव से जुड़े प्रदर्शन पूरी तरह खत्म हो जाएंगे।
वाराणसी पुलिस प्रशासन का यह कदम न केवल कानून-व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि समाज में समानता और सद्भाव की भावना को भी बढ़ावा देगा। वाहनों, सार्वजनिक स्थानों और थानों के रिकॉर्ड से जातिसूचक शब्दों का हटना संविधान की उस मूल भावना को पुनर्जीवित करेगा जिसमें सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के बराबरी का दर्जा देने की बात कही गई है। यह अभियान अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।