




भारत में लाखों निवेशक पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं जैसे पीपीएफ (Public Provident Fund), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) और अन्य योजनाओं में निवेश करते हैं। इन योजनाओं को सुरक्षित निवेश और स्थिर ब्याज के लिए जाना जाता है।
लेकिन अब निवेशकों के लिए बुरी खबर सामने आ रही है। सरकार द्वारा अक्टूबर-दिसंबर 2025 तिमाही के लिए ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी और इस बार ब्याज दरों में कटौती की पूरी संभावना जताई जा रही है।
सरकार हर तिमाही करती है ब्याज दर की समीक्षा
छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें सरकार हर तीन महीने में तय करती है। इसका आधार होता है—सरकारी बॉन्ड्स की यील्ड और आरबीआई की मौद्रिक नीति।
वर्तमान वित्त वर्ष में अब तक पोस्ट ऑफिस स्कीम्स पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। लेकिन इस बीच रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में कुल मिलाकर 1% की कटौती कर दी है।
ऐसे में अब सरकार पर दबाव है कि वह इन बचत योजनाओं पर भी ब्याज दरों को घटाए।
किन योजनाओं पर असर पड़ेगा?
अगर ब्याज दरों में कटौती होती है, तो इसका सीधा असर निम्न योजनाओं पर पड़ेगा:
-
पीपीएफ (Public Provident Fund): लंबी अवधि का सुरक्षित निवेश, जिसका इस्तेमाल टैक्स सेविंग के लिए भी किया जाता है।
-
सुकन्या समृद्धि योजना: बेटियों की पढ़ाई और शादी के लिए लोकप्रिय योजना, जिस पर फिलहाल 8% के आसपास ब्याज मिल रहा है।
-
एनएससी (National Savings Certificate): मिड-टर्म निवेश के लिए सबसे भरोसेमंद योजना।
-
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SCSS): रिटायर लोगों के लिए महत्वपूर्ण आय का साधन।
-
मंथली इनकम स्कीम (MIS), आरडी और एफडी जैसी पोस्ट ऑफिस योजनाएं।
निवेशकों को कैसे लगेगा झटका?
छोटी बचत योजनाएं हमेशा उन लोगों के लिए सहारा रही हैं जो सुरक्षित और स्थिर ब्याज पर निवेश करना चाहते हैं। खासतौर से मध्यमवर्गीय परिवार, रिटायर लोग और महिलाएं।
अगर ब्याज दरों में कटौती होती है तो पीपीएफ और एनएससी जैसी योजनाओं पर रिटर्न घट जाएगा। सुकन्या समृद्धि योजना में मिलने वाला मैच्योरिटी अमाउंट कम हो सकता है। वरिष्ठ नागरिकों की मासिक आय पर असर पड़ेगा। पोस्ट ऑफिस की आरडी और एफडी पर मिलने वाला फायदा भी कम होगा।
यानी निवेशकों को मिलने वाली सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न दोनों पर असर पड़ सकता है।
रेपो रेट कटौती का असर क्यों दिखेगा?
आरबीआई ने महंगाई पर काबू पाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस साल रेपो रेट में 1% की कटौती की है।
इसका सीधा असर सरकारी बॉन्ड्स की यील्ड पर पड़ा है, जो कम हो गई है। चूंकि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें इन्हीं बॉन्ड्स की यील्ड से जुड़ी होती हैं, इसलिए कटौती लगभग तय मानी जा रही है।
पिछली बार कब बदली थी ब्याज दरें?
सरकार ने पिछली बार अप्रैल-जून 2023 में छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी की थी। उसके बाद से लगातार तीन तिमाहियों तक दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
लेकिन इस बार आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार दरों में कटौती कर सकती है।
निवेशकों के लिए विकल्प क्या हैं?
अगर ब्याज दरें घटती हैं, तो निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो पर दोबारा विचार करना होगा।
-
सरकारी बॉन्ड्स या टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश।
-
बैंक एफडी (हालांकि इनकी दरें भी रेपो रेट कटौती के बाद कम हो सकती हैं)।
-
म्यूचुअल फंड्स और डेब्ट फंड्स—थोड़ा रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए विकल्प।
-
सोना और सोने से जुड़ी योजनाएं—मूल्य संरक्षण का साधन।
हालांकि सुरक्षित निवेश चाहने वालों के लिए पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाएं अब भी प्रासंगिक रहेंगी, भले ही ब्याज दरें कुछ घट जाएं।
सरकार की आगामी ब्याज दर समीक्षा से साफ है कि पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि और एनएससी जैसी छोटी बचत योजनाओं में निवेशकों को झटका लग सकता है।
रेपो रेट घटने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में दरें कम की जाएंगी।