




देश में रोजगार और आर्थिक वृद्धि को लेकर चल रही बहस में जाने-माने अर्थशास्त्री प्रसन्ना तांत्री ने मैन्युफैक्चरिंग पर भारत के लंबे समय से चल रहे फोकस को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि रघुराम राजन की बात सही है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग से हटकर इनोवेशन और सर्विसेज सेक्टर पर ध्यान देना चाहिए। उनके अनुसार, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन के कारण मैनुअल उत्पादन अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी नहीं रहा।
तांत्री ने ‘इनोवेट इन इंडिया’ पहल और ‘आईएलआई’ (Indian Leapfrog Initiative) पर जोर देते हुए कहा कि भारत को उन क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए जहां उच्च तकनीकी ज्ञान और सेवाओं की मांग है। उनका मानना है कि असली नौकरियां अब गैर-व्यापार योग्य क्षेत्रों और इनोवेशन आधारित क्षेत्रों में पैदा हो रही हैं।
अर्थशास्त्री ने बताया कि मैन्युफैक्चरिंग अब केवल कम लागत वाले उत्पादन तक सीमित नहीं है। ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के कारण लागत प्रभावशीलता में अंतर खत्म हो गया है। इस बदलाव के चलते भारत को ऐसे क्षेत्रों पर फोकस करना चाहिए जहां ज्ञान आधारित सेवाओं और तकनीकी नवाचार की मांग अधिक है।
तांत्री ने ‘इनोवेट इन इंडिया’ प्रोग्राम को इस दिशा में एक कदम बताया, जिसमें भारतीय स्टार्टअप्स, प्रौद्योगिकी उद्यम और अनुसंधान केंद्रों को प्रोत्साहन दिया जाता है। उनका कहना है कि इनोवेशन और सर्विस सेक्टर में निवेश से भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होगा बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी अग्रणी बनेगा।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली में बदलाव लाना आवश्यक है। युवाओं को उन क्षेत्रों में कौशल प्रदान करना चाहिए जो तकनीकी, डिजिटल और सेवा आधारित हैं। इससे भारत की जनसंख्या एक गतिशील और प्रतिस्पर्धी कार्यबल बन सकती है।
प्रसन्ना तांत्री के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग पर अत्यधिक ध्यान देना भारत की आर्थिक रणनीति के लिए लाभकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव और तकनीकी उन्नति के कारण, भारत को अपने संसाधनों को ऐसे क्षेत्रों में लगाना चाहिए जहां अधिक मूल्य और रोजगार उत्पन्न होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह दृष्टिकोण भारत के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में नई दिशा प्रदान कर सकता है। सर्विसेज और इनोवेशन आधारित अर्थव्यवस्था न केवल स्थायी होगी बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी भारत को मजबूत स्थिति दिलाएगी।
संक्षेप में, प्रसन्ना तांत्री ने रघुराम राजन की सोच को समर्थन देते हुए कहा कि भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग से हटकर इनोवेशन और सर्विसेज सेक्टर में फोकस करना समय की आवश्यकता है। यह दृष्टिकोण भारत को तकनीकी और आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।