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    उज्जैन में 25,000 से अधिक कन्याओं का सामूहिक पूजन, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

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    उज्जैन, मध्यप्रदेश का पवित्र तीर्थनगरी, अपनी धार्मिक परंपराओं और भव्य आयोजनों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। नवरात्रि महापर्व के अवसर पर यहां एक ऐसा ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जिसने न केवल शहर बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर दिया। उज्जैन में 121 अलग-अलग स्थानों पर एक साथ 25,000 से अधिक कन्याओं का सामूहिक पूजन किया गया, जिसे “गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में दर्ज कर लिया गया।

    सामूहिक कन्या पूजन: आस्था और परंपरा का संगम

    हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है। माना जाता है कि छोटी कन्याओं में देवी दुर्गा के नौ रूपों का वास होता है। इसी आस्था को आधार बनाकर उज्जैन में इस बार भव्य आयोजन किया गया। शहर भर में 121 स्थानों पर एक ही समय पर हजारों कन्याओं को आमंत्रित कर उनके चरण धोए गए, माथे पर तिलक लगाया गया और उन्हें विशेष भोज (खीर-पूरी, हलवा आदि) परोसा गया।

    कन्या पूजन का यह विशाल आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि बेटियां देवी का स्वरूप हैं और उनका सम्मान ही सच्ची पूजा है।

    विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ आयोजन

    इस अद्वितीय आयोजन को “गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” की टीम ने प्रमाणित किया। रिकॉर्ड टीम के सदस्यों ने अलग-अलग स्थानों का दौरा कर सभी आंकड़े और वीडियोग्राफी की पुष्टि की। टीम ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में कन्याओं का एक साथ पूजन इससे पहले दुनिया में कहीं दर्ज नहीं हुआ।

    उज्जैन का यह प्रयास धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ता है। विश्व रिकॉर्ड में शामिल होने से इस आयोजन की वैश्विक स्तर पर पहचान बनी और यह बताया गया कि भारत की संस्कृति और परंपराएं आज भी कितनी जीवंत और मजबूत हैं।

    आयोजन में सहभागिता

    इस कार्यक्रम में स्थानीय प्रशासन, धार्मिक संस्थाओं और सामाजिक संगठनों ने बढ़-चढ़कर सहयोग किया। उज्जैन के मंदिरों, आश्रमों और सार्वजनिक स्थलों पर कन्या पूजन के लिए पंडाल सजाए गए। शहर के साधु-संतों और महंतों ने इस अवसर पर विशेष मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना की।

    कन्याओं को पारंपरिक परिधान पहनाकर बैठाया गया और उन्हें उपहार स्वरूप पुस्तकें, वस्त्र और प्रसाद भी भेंट किए गए। इस दौरान शहरभर में भक्ति, संगीत और जयकारों की गूंज सुनाई दी।

    धार्मिक महत्व और संदेश

    कन्या पूजन का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में नारी सम्मान और बेटियों के महत्व का संदेश भी देता है। उज्जैन के इस आयोजन ने यह साबित किया कि जब समाज संगठित होकर बेटियों को देवी का स्वरूप मानकर उनका सम्मान करता है, तो वह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी बन जाती है।

    धार्मिक गुरुओं ने कहा कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

    उज्जैन की पहचान और गौरव

    उज्जैन वैसे भी महाकाल की नगरी और कुंभ जैसे विश्व प्रसिद्ध आयोजन के लिए जानी जाती है। इस बार कन्या पूजन के वर्ल्ड रिकॉर्ड ने शहर की प्रतिष्ठा को और ऊंचा किया है। यहां आने वाले देश-विदेश के पर्यटक अब इस गौरवशाली उपलब्धि के बारे में भी जान पाएंगे।

    यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का प्रतीक रहा बल्कि उज्जैन को एक बार फिर वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित कर गया।

    लोगों की प्रतिक्रिया

    स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताया। कई लोगों ने कहा कि इस आयोजन ने उन्हें गर्व और आध्यात्मिक संतोष की अनुभूति कराई। वहीं कन्याओं के अभिभावकों ने इसे अपने लिए अविस्मरणीय पल बताया।

    कई श्रद्धालु परिवारों ने इसे बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक मजबूत संदेश बताया।

    उज्जैन का यह सामूहिक कन्या पूजन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि नारी शक्ति के सम्मान और भारतीय संस्कृति की जीवंतता का प्रतीक है। 25,000 से अधिक कन्याओं का एक साथ पूजन और उसका विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होना, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला उदाहरण है।

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