




अमेरिका एक बार फिर सरकारी शटडाउन (Government Shutdown) के मुहाने पर खड़ा है। यदि अमेरिकी कांग्रेस समय रहते बजट पारित नहीं कर पाती, तो लाखों संघीय कर्मचारियों को फर्लो (अनिवार्य अवकाश) पर भेजा जाएगा और कई महत्वपूर्ण सरकारी सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद हो जाएंगी।
संविधान और बजट नियमों के अनुसार, जब सरकार के पास खर्च करने के लिए कानूनी अनुमति नहीं होती, तो इसे “शटडाउन” कहा जाता है। यह स्थिति तब आती है जब कांग्रेस द्वारा जरूरी फंडिंग पारित नहीं की जाती।
अमेरिका का वित्तीय वर्ष 30 सितंबर को समाप्त होता है। अगर इससे पहले वार्षिक बजट या अस्थायी खर्च बिल (Continuing Resolution) पारित नहीं किया जाता, तो 1 अक्टूबर से शटडाउन शुरू हो सकता है।
सरकारी शटडाउन आमतौर पर तब होता है जब:
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राजनीतिक दलों में बजट को लेकर गंभीर मतभेद हो
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विशेष मुद्दों (जैसे बॉर्डर सिक्योरिटी, हेल्थकेयर या सामाजिक योजनाओं) पर कठोर रुख अपनाया जाए
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किसी पार्टी द्वारा राजनीतिक दबाव बनाने के लिए बजट रोक दिया जाए
उदाहरण के लिए, सीमा सुरक्षा, शरणार्थी नीति, या वित्तीय कटौती जैसे मुद्दों पर कांग्रेस में गतिरोध बना रहता है।
शटडाउन की स्थिति में अत्यावश्यक (Essential) और गैर-अत्यावश्यक (Non-essential) सेवाओं के बीच फर्क किया जाता है।
❌ बंद होने वाली सेवाएं:
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सभी राष्ट्रीय उद्यान और म्यूज़ियम
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वीजा और पासपोर्ट सेवाओं में देरी
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फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के निरीक्षण
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वैज्ञानिक अनुसंधान, डेटा संग्रह
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कुछ न्यायिक और प्रशासनिक कार्य
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सोशल सिक्योरिटी और टैक्स सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं
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रक्षा सेवाएं (सेना, नेवी, एयरफोर्स)
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फेडरल जेल और कानून प्रवर्तन एजेंसियां
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एयर ट्रैफिक कंट्रोल
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अस्पताल और इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं
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ऊर्जा, पानी, और संचार व्यवस्था
हालांकि इन सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारी वेतन के बिना काम करते हैं, जिसे बाद में भुगतान किया जाता है।
शटडाउन का सबसे बड़ा असर पड़ता है संघीय कर्मचारियों पर:
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अनुमानतः 8 से 10 लाख कर्मचारी या तो घर भेजे जाएंगे या बिना वेतन के काम करेंगे।
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इसे फर्लो कहा जाता है, जिसमें कर्मचारी काम पर उपस्थित नहीं होते और वेतन नहीं मिलता।
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पिछली बार के शटडाउन में कर्मचारियों ने अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए फूड बैंक और क्राउडफंडिंग का सहारा लिया था।
हर शटडाउन का आर्थिक प्रभाव भी गंभीर होता है:
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सरकारी खर्च रुकने से GDP में गिरावट आती है
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बाजार में अनिश्चितता बढ़ जाती है
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निवेशक रिस्क अवर्स हो जाते हैं
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पर्यटन, व्यापार और बैंकिंग पर सीधा असर
2018-19 के शटडाउन में अमेरिका को लगभग 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रणाली की रीढ़ है। इसलिए वहां शटडाउन होने पर दुनिया भर में असर देखने को मिलता है:
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डॉलर में गिरावट संभव
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ग्लोबल शेयर मार्केट में उथल-पुथल
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भारत जैसे देशों में आईटी और एक्सपोर्ट सेक्टर पर प्रभाव
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अमेरिकी कंपनियों के साथ जुड़े व्यापारिक समझौते प्रभावित हो सकते हैं
शटडाउन को टालने या समाप्त करने के लिए:
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कांग्रेस को वार्षिक बजट बिल पास करना होगा, या
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Continuing Resolution (CR) पारित करनी होगी जिससे कुछ समय के लिए खर्च की अनुमति मिल सके
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सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स को आपसी सहमति बनानी होगी
कभी-कभी यह सहमति राष्ट्रपति की मध्यस्थता से भी होती है।
वर्ष | अवधि | कारण |
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2013 | 16 दिन | ओबामाकेयर को लेकर टकराव |
2018-19 | 35 दिन | ट्रंप की बॉर्डर वॉल फंडिंग पर मतभेद |
1995-96 | 21 दिन | बिल क्लिंटन प्रशासन के साथ बजट विवाद |
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के अर्थशास्त्री कहते हैं:
“हर शटडाउन केवल सरकारी तंत्र को नहीं, बल्कि देश की छवि को भी चोट पहुंचाता है। यह निवेशकों के आत्मविश्वास को कमजोर करता है।”
सरकारी शटडाउन अमेरिका जैसे विकसित देश की राजनीतिक अस्थिरता और विचारधारात्मक मतभेद का परिणाम है। इसका असर केवल सरकारी कर्मचारियों या सेवाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था और वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर पड़ता है।
अब सबकी नजरें इस पर हैं कि क्या अमेरिकी कांग्रेस समय रहते समझदारी दिखाएगी या एक बार फिर अमेरिका को प्रशासनिक ठहराव का सामना करना पड़ेगा।