




वीके मल्होत्रा भारतीय तीरंदाजी के ‘गॉडफादर’ के रूप में जाने जाते हैं, जिनका जीवन तीरंदाजी के खेल को बढ़ावा देने और भारतीय ओलंपिक आंदोलन को नया आकार देने में समर्पित रहा। भारतीय तीरंदाजी के विकास में उनके योगदान के कारण उन्हें भारतीय खेलों के एक महान नेता के रूप में पहचाना जाता है। इसके अलावा, वीके मल्होत्रा भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी सक्रिय रहे, जहां उन्होंने भारतीय खेलों के प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार किए।
वीके मल्होत्रा का नाम भारतीय तीरंदाजी के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। उनका तीरंदाजी के प्रति प्रेम और समर्पण उन्हें खेल के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान दिलाता है। भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में तीरंदाजी को भारतीय खेलों के प्रमुख हिस्से के रूप में स्थापित किया गया। उन्होंने खिलाड़ियों के लिए उच्चतम स्तर की प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान की और तीरंदाजी के खेल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने के लिए कई पहल कीं।
उनके मार्गदर्शन में भारतीय तीरंदाजी टीम ने एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। मल्होत्रा की नेतृत्व शैली और उनकी रणनीतियों ने भारतीय तीरंदाजी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते।
2011 में, वीके मल्होत्रा को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया जब सुरेश कालमाड़ी को 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। यह भारतीय ओलंपिक संघ के लिए एक संकटपूर्ण समय था, और मल्होत्रा को इस कठिन समय में कार्यभार संभालने का अवसर मिला। उनका कार्यकाल 26 अप्रैल 2011 से 5 दिसंबर 2012 तक रहा, और इस दौरान उन्होंने भारतीय खेलों के प्रशासन को संभालने और सुधारने के लिए कई कदम उठाए।
मल्होत्रा के कार्यकाल में, उन्होंने खेलों के प्रशासन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारतीय खेलों के लिए संवेदनशील निर्णय लिए और खिलाड़ियों के कल्याण के लिए नई नीतियां लागू कीं। उनके नेतृत्व में, IOA ने भारतीय ओलंपिक दल के लिए बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं और संसाधन सुनिश्चित किए, जिससे भारत के एथलीटों को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त करने का मौका मिला।
वीके मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल में भारतीय ओलंपिक संघ और भारतीय खेलों के प्रशासन में कई सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने खेलों को पेशेवर और पारदर्शी बनाने के लिए कई सुधारों को लागू किया। उनका मानना था कि भारतीय खेलों की सफलता विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, सुदृढ़ प्रशासन और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
उन्होंने खिलाड़ियों के चयन, वित्तीय प्रबंधन और खेल के प्रशासन में पारदर्शिता के लिए कई उपाय किए। उनका उद्देश्य था कि भारतीय खेलों में कोई भी निर्णय बिना सही प्रक्रिया के न लिया जाए, और सभी कार्य पारदर्शी तरीके से हों।
भारतीय तीरंदाजी के विकास में वीके मल्होत्रा का योगदान अतुलनीय रहा। उनके नेतृत्व में भारतीय तीरंदाजी संघ ने कई नई योजनाओं को अपनाया, जिनके परिणामस्वरूप भारतीय तीरंदाजों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की, जहां तीरंदाजी के युवा खिलाड़ियों को उच्च गुणवत्ता की सुविधाएं और प्रशिक्षकों की मदद मिलती थी।
मल्होत्रा का मानना था कि भारत को केवल खिलाड़ी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक भी तैयार करने चाहिए। इस विचारधारा के चलते उन्होंने कोचिंग कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित प्रशिक्षण कार्यशालाओं की शुरुआत की। इसके कारण, भारत में तीरंदाजी का स्तर तेजी से बढ़ा और भारतीय खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने लगे।
वीके मल्होत्रा ने भारतीय तीरंदाजी और भारतीय ओलंपिक संघ दोनों में अपनी छाप छोड़ी। उनका योगदान न केवल तीरंदाजी के खेल को बढ़ावा देने में था, बल्कि भारतीय खेल प्रशासन के सुधार और खिलाड़ियों के विकास में भी उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। भारतीय खेलों में उनकी स्थायी छाप उनके द्वारा किए गए सुधारों, उनकी नेतृत्व शैली और उनके द्वारा स्थापित किए गए मानकों के रूप में हमेशा याद रखी जाएगी।
वीके मल्होत्रा का योगदान न केवल भारतीय तीरंदाजी के लिए, बल्कि भारतीय खेलों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने न केवल खेलों में सफलता प्राप्त करने के लिए खिलाड़ियों को प्रेरित किया, बल्कि भारतीय खेल प्रशासन को भी नया दिशा दी, जिससे भारतीय खेलों को एक नई पहचान मिली।