




उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुए हिंसक दंगों से संबंधित एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि दंगे में शामिल कुछ आरोपियों का संबंध केवल उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि बिहार और बंगाल से भी था। इस खुलासे ने पुलिस की जांच को एक नया मोड़ दिया है और यह सवाल उठाए हैं कि क्या ये लोग स्थानीय विवाद से बाहर के थे या इनका एक संगठित उद्देश्य था।
बरेली बवाल के बाद से ही पुलिस ने 73 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, और मंगलवार को एक और बड़ा घटनाक्रम हुआ। पुलिस ने एक प्रमुख आरोपी को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया, जो पुलिस पर फायरिंग करने में शामिल था। पुलिस फायरिंग के आरोपी को पकड़ने के बाद अब इस मामले में 16 और नए आरोपियों की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है। यह गिरफ्तारी बरेली के विभिन्न इलाकों में हुई और आरोपी विभिन्न प्रकार की आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त थे। पुलिस के मुताबिक, इन आरोपियों का संबंध अन्य राज्यों से भी था, और इनकी गिरफ्तारी के बाद कई और राज़ खुलने की संभावना है।
बरेली में हुई हिंसा का मुख्य कारण ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्ट का समर्थन था, जिसे लेकर यह विवाद शुरू हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस पोस्ट ने समुदायों के बीच आक्रोश को बढ़ा दिया और बाद में हिंसा का रूप ले लिया। कुछ असामाजिक तत्वों ने इसका गलत फायदा उठाया, जिससे बरेली के विभिन्न इलाकों में तोड़फोड़ और हिंसा का सिलसिला शुरू हो गया। दंगाइयों ने पुलिस पर फायरिंग भी की और कई दुकानों में आग लगा दी।
अब पुलिस की तफ्तीश में यह सामने आया है कि बरेली में हिंसा फैलाने में सिर्फ स्थानीय लोग नहीं, बल्कि बिहार और बंगाल से भी दंगाई शामिल थे। यह तथ्य पुलिस द्वारा जांच में आए सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयान से सामने आया। इन दंगाइयों ने न सिर्फ बरेली में हिंसा को बढ़ाया बल्कि वे यहां छिपकर भी रहे थे, और घटना के बाद कई अन्य राज्यों में वापस चले गए थे।
पुलिस के अनुसार, बरेली में घुसने के बाद इन आरोपियों ने स्थानीय तत्वों को भी भड़काया और हिंसा को बढ़ावा दिया। उनके पास से कई संदिग्ध दस्तावेज भी मिले हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि वे केवल स्थानीय विवाद में शामिल नहीं थे, बल्कि इनका कोई बड़ा उद्देश्य था।
बरेली में हुए इस बवाल के बाद अब एक और ताजे खुलासे ने प्रशासन को चौका दिया है। बरेली विकास प्राधिकरण ने इस मामले में मौलाना तौकीर रजा खां के करीबी रिश्तेदार के बरातघर को सील कर दिया है। यह कार्रवाई अवैध निर्माण के आरोप में की गई है। मौलाना तौकीर रजा खां के करीबी व्यक्ति के बारे में यह आरोप लगाया गया है कि वह हिंसा के दौरान ध्यान केंद्रित करने का काम कर रहा था और उसने दंगाइयों को पनाह दी थी।
बरेली पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिले में और भी कई जगहों पर छापे मारे हैं। पुलिस के एक उच्च अधिकारी ने कहा, “हम मामले की गहरी जांच कर रहे हैं और सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग इस हिंसा के पीछे थे, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले। हमारी प्राथमिकता है कि हम बाहरी लोगों और स्थानीय असामाजिक तत्वों के बीच किसी भी तरह की संलिप्तता की पहचान करें।”
इस मामले पर अब राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने बरेली की घटना को लेकर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने इस घटना को पहले ही रोकने की कोशिश नहीं की। इसके साथ ही, विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार इस मामले में दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है, जो कि कानून और व्यवस्था को खतरे में डाल सकता है।
वहीं, सरकार और प्रशासन ने इस मामले पर स्पष्ट किया है कि वे किसी भी स्थिति में दोषियों को बख्शेंगे नहीं और मामले की गहरी जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “हमारी सरकार हर एक मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगी।”
बरेली दंगे का खुलासा अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। बिहार और बंगाल से आए दंगाई इस हिंसा को और भड़का सकते थे, लेकिन पुलिस की तत्परता और कार्रवाई के कारण अब अधिकतर आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। इस मामले को लेकर कई और तथ्यों की जांच की जा रही है, और यह कहा जा सकता है कि प्रशासन जल्द ही बाकी बची कड़ी को भी पकड़ने में सफल होगा।