




गुरुग्राम, हरियाणा – गुरुग्राम नगर निगम (MCG) द्वारा हाल ही में किए गए एक क्षेत्रवार सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि नगर निगम क्षेत्राधिकार में कुल 68 जलाशयों पर अतिक्रमण किया गया है। यह अतिक्रमण शहर के प्राकृतिक जलाशयों को भवनों और अन्य संरचनाओं से प्रतिस्थापित करने का परिणाम है, जिससे शहर की पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
जलाशयों का महत्व और अतिक्रमण का प्रभाव
जलाशय न केवल जल संचयन के स्रोत होते हैं, बल्कि ये बाढ़ नियंत्रण, जलवायु नियंत्रण और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरुग्राम में जलाशयों का अतिक्रमण शहर की जलवायु तंत्र को प्रभावित कर रहा है, जिससे बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है और जल स्तर में गिरावट आ रही है।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष
सर्वेक्षण में यह पाया गया कि जलाशयों पर अतिक्रमण के कारण प्राकृतिक जलाशयों की संख्या में कमी आई है। इससे जल संचयन की क्षमता में गिरावट आई है, जिससे जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसके अलावा, अतिक्रमण के कारण बाढ़ की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है, क्योंकि जलाशयों की जल अवशोषण क्षमता कम हो गई है।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जलाशयों का अतिक्रमण शहर की पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरे की घंटी है। उनका कहना है कि जलाशयों की बहाली और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा।
सरकार की पहल
सरकार ने जलाशयों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की है। इन योजनाओं के तहत जलाशयों की सफाई, अतिक्रमण हटाने और जल संचयन की क्षमता बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा, जलाशयों के आसपास हरित क्षेत्र विकसित करने की भी योजना है, ताकि जैव विविधता को बढ़ावा मिल सके।
नागरिकों की भूमिका
नागरिकों को भी जलाशयों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इसके लिए उन्हें जलाशयों के महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा और जलाशयों के आसपास स्वच्छता अभियान चलाए जाएंगे। इसके अलावा, जलाशयों के आसपास अतिक्रमण की सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।
गुरुग्राम में जलाशयों का अतिक्रमण शहर की पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए सरकार, नागरिक और पर्यावरण विशेषज्ञों को मिलकर काम करना होगा। जलाशयों के संरक्षण और पुनर्स्थापना के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में जल संकट और बाढ़ की घटनाओं से बचा जा सके।