




छत्तीसगढ़ के लोकेश ने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर एक अनोखी और प्रेरक यात्रा शुरू की। पहले वह एक कंपनी में बिजली सलाहकार थे, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान और जीवन का मकसद बदलने का फैसला किया। आज वह ‘गरीबों के गुलाब’ की खेती से सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं और किसानों को भी रोजगार दे रहे हैं।
लोकेश का कहना है कि उन्होंने हमेशा समाज और किसानों की भलाई के बारे में सोचा। उन्होंने देखा कि फूलों की खेती में न केवल आर्थिक अवसर हैं, बल्कि यह ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन में भी मदद कर सकती है। इसी सोच के साथ उन्होंने ‘गरीबों के गुलाब’ की खेती शुरू की।
‘गरीबों के गुलाब’ एक विशेष प्रकार का गुलाब है, जिसे कम लागत और सीमित संसाधनों में उगाया जा सकता है। लोकेश ने इस गुलाब की खेती को सस्टेनेबल और पर्यावरण अनुकूल तरीके से विकसित किया। उनका उद्देश्य सिर्फ व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि गांव के गरीब किसानों की आमदनी बढ़ाना भी था।
लोकेश बताते हैं कि शुरुआत में बहुत चुनौतियां आईं। उन्हें खेती के नए तरीके सीखने पड़े और मार्केटिंग के लिए भी अलग रणनीति अपनानी पड़ी। इंजीनियरिंग की नौकरी में वे निश्चित रूप से अच्छे वेतन पर काम कर रहे थे, लेकिन उनके मन में यह सपना हमेशा था कि वे किसानों और ग्रामीण समुदाय के लिए कुछ अलग और स्थायी करें।
आज, लोकेश की ‘गरीबों के गुलाब’ की खेती ने उन्हें न केवल आर्थिक सफलता दी, बल्कि उन्हें सामाजिक सम्मान और पहचान भी दिलाई। उनके गुलाब न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। उनकी फसल की मांग बढ़ रही है, जिससे स्थानीय किसानों को भी लाभ मिल रहा है।
लोकेश ने खासतौर पर ग्रामीण युवाओं को प्रेरित किया है कि वे खेती और आधुनिक कृषि के क्षेत्र में उद्यमिता के अवसर तलाशें। उन्होंने छोटे और गरीब किसानों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किए हैं, जिससे वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकें।
उनके अनुसार, ‘गरीबों के गुलाब’ की खेती में सफलता का मुख्य राज है – कुशल प्रबंधन, मार्केटिंग रणनीति और समाज के प्रति योगदान। लोकेश ने यह सिद्ध किया कि सही योजना और मेहनत से कोई भी व्यक्ति पारंपरिक नौकरी छोड़कर कृषि और व्यवसाय में भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
लोकेश की कहानी यह भी दर्शाती है कि नौकरी या पद की ऊँचाई सफलता की एकमात्र मापदंड नहीं है। बल्कि अगर व्यक्ति का उद्देश्य स्पष्ट हो और वह समाज के लिए भी काम करे, तो सफलता स्वाभाविक रूप से मिलती है। उनकी पहल ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में न केवल रोजगार पैदा किया, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता से न केवल व्यक्तिगत लाभ बल्कि सामाजिक विकास भी संभव है। लोकेश ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से साबित किया कि अगर किसानों को सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलें, तो वे ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी विकास ला सकते हैं।
आज लोकेश के गुलाब की खेती ने उन्हें स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी योजना ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को रोजगार देने की है। वे चाहते हैं कि ‘गरीबों के गुलाब’ के माध्यम से और अधिक लोग आर्थिक रूप से सशक्त बनें और आत्मनिर्भर हों।
इस प्रेरक कहानी से स्पष्ट होता है कि अगर सपने, मेहनत और समाज के लिए योगदान का संगम हो, तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। लोकेश ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति नहीं सुधारी, बल्कि पूरे समुदाय के लिए नई राह खोली।
अंततः कहा जा सकता है कि लोकेश की कहानी आज के समय के लिए प्रेरणा है। उनकी पहल, मेहनत और सामाजिक सोच ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मेहनत और सही दिशा के साथ काम करे, तो छोटे-छोटे कदम भी बड़ी सफलता और सामाजिक बदलाव ला सकते हैं।