




पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में तीन लोगों की मौत के बाद स्थानीय समुदाय में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। यूनाइटेड कश्मीर पीपल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के अध्यक्ष ने पीओके की पाकिस्तान समर्थित सरकार को कठपुतली सरकार करार दिया और आरोप लगाया कि यह सरकार अपने लोगों की सही और वैध मांगों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रही है।
यह घटना पीओके के मुजफ्फराबाद में हुई, जहां तीन स्थानीय लोगों की मौत हो गई। इनकी मौत के बाद लोग सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान सरकार की नीतियों के कारण स्थानीय लोग लगातार परेशानी का सामना कर रहे हैं और उनके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि पीओके के लोग अब पाकिस्तान से स्वतंत्रता और अपने अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान के कड़े नियंत्रण और स्थानीय सरकार के बिना किसी स्वतंत्रता के कारण यहां के लोग दबाव में हैं।
यूकेपीएनपी के अध्यक्ष ने पीओके की सरकार को “कठपुतली सरकार” करार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पीओके की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को पूरी तरह से काबू में कर रखा है, जिससे यहां के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। उनका मानना है कि पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया है, जबकि पीओके के नागरिक स्वतंत्रता और समानता की मांग कर रहे हैं।
यूकेपीएनपी के अध्यक्ष ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि यदि पीओके में स्थानीय लोगों की आवाज को दबाया गया और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे पाकिस्तान के एंट्री पॉइंट्स को बंद कर देंगे। उनका कहना है कि यह एक मजबूत संदेश होगा जो पाकिस्तान को बताएगा कि POK के लोग अब चुप रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पीओके में लोकतंत्र और राजनीतिक स्वतंत्रता की कमी है और पाकिस्तान यहां की स्थानीय सरकार को अपनी इच्छाओं के मुताबिक चलाता है। उनकी यह चेतावनी भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर चल रहे विवाद को और उग्र बना सकती है।
भारत ने हमेशा से यह कहा है कि पीओके भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान का इस पर कब्जा अवैध है। भारत सरकार ने हमेशा पीओके में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाया है और इसे पाकिस्तान के कब्जे के तहत कश्मीरियों की स्वतंत्रता के खिलाफ एक प्रयास के रूप में देखा है।
भारत का मानना है कि POK के लोग स्वतंत्रता की ओर बढ़ सकते हैं, और उन्हें पाकिस्तान के दबाव से बाहर आकर अपने आत्मनिर्णय के अधिकार को पुनः प्राप्त करना चाहिए।
पाकिस्तान ने इस घटना को अपने आंतरिक मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया है और दावा किया है कि यह स्थानीय विरोध एक अस्थायी असहमति है। पाकिस्तान का कहना है कि पीओके में स्थित स्थानीय प्रतिनिधि सरकारें अपनी जिम्मेदारियों को समझती हैं और यहां के लोग अपने आंतरिक मामलों में खुद निर्णय लेने में सक्षम हैं।
यह विरोध प्रदर्शन पीओके में पाकिस्तान के नियंत्रण और स्थानीय सरकार की नीतियों के खिलाफ बढ़ते असंतोष को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। प्रदर्शनों का तीव्र होना यह संकेत देता है कि पाकिस्तान के खिलाफ लोगों में गहरी असहमति उत्पन्न हो चुकी है।
आने वाले समय में, अगर पाकिस्तान ने POK के लोगों के अधिकारों की अनदेखी की तो यह आंदोलन और अधिक बढ़ सकता है और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। अगर प्रदर्शनकारियों की चेतावनी सच होती है और एंट्री पॉइंट्स को ब्लॉक किया जाता है, तो यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक नया मोर्चा खोल सकता है।
पीओके में हो रहे इन प्रदर्शनों ने यह साफ कर दिया है कि वहां के लोग अब अपने हक और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। पाकिस्तान के नियंत्रण में होने के बावजूद POK के नागरिक खुद को मजबूत कर रहे हैं और अपनी आवाज उठाने का एक नया तरीका खोज रहे हैं।
यह आंदोलन न केवल POK के लिए, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर चल रही बातचीत को प्रभावित कर सकता है। भारत हमेशा से यह कहता आया है कि POK उसका हिस्सा है और वहां के लोग अपनी इच्छाओं के मुताबिक जीवन जीने का हक रखते हैं।