




एशिया कप 2023 के फाइनल मुकाबले के बाद एक अप्रत्याशित विवाद सामने आया है, जब एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के अध्यक्ष मोहमद मोहसिन नकवी ने भारत को एशिया कप ट्रॉफी सौंपने से साफ इनकार कर दिया। इस विवाद ने क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया है और अब तक इस मामले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
भारत ने पाकिस्तान को फाइनल में हराकर एशिया कप की ट्रॉफी जीतने में सफलता प्राप्त की। भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा और उनके साथियों ने जब ट्रॉफी को प्राप्त किया, तो एसीसी चेयरमैन मोहसिन नकवी ने इस ट्रॉफी को भारत को सौंपने के बजाय सूर्यकुमार यादव से कहा कि उन्हें आकर ट्रॉफी खुद लेनी होगी।
फाइनल के बाद, जहां सभी खिलाड़ी और अधिकारी उत्साहित थे, वहीं ट्रॉफी सौंपने का तरीका एक विवाद का कारण बन गया। बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने मोहसिन नकवी से अनुरोध किया था कि वह ट्रॉफी भारत को सौंपे, लेकिन उन्होंने इसे लेकर साफ तौर पर मना कर दिया। उनका कहना था कि सूर्यकुमार यादव को खुद आकर ट्रॉफी प्राप्त करनी होगी। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और क्रिकेट जगत में एक नई बहस छेड़ दी।
अभी तक ट्रॉफी का आदान-प्रदान हमेशा सम्मानजनक तरीके से किया जाता था, लेकिन इस बार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और एसीसी के फैसले ने विवाद को जन्म दिया। नकवी का यह कदम भारतीय क्रिकेट फैन्स और विशेषज्ञों द्वारा आलोचना का शिकार हो गया।
बीसीसीआई ने मोहमिन नकवी के इस बर्ताव पर तीव्र प्रतिक्रिया दी और उन्हें साफ तौर पर कहा कि ट्रॉफी को भारत को सौंप दिया जाए। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने पहले ही अनुरोध किया था कि ट्रॉफी भारतीय टीम को सौंप दी जाए, लेकिन एसीसी चेयरमैन की जिद ने इसे और विवादित बना दिया है।” बीसीसीआई ने इसके बाद एक औपचारिक पत्र भी भेजा, जिसमें नकवी से यह मांग की गई थी कि वह इस विवाद को समाप्त कर ट्रॉफी को भारतीय टीम के कप्तान या अन्य खिलाड़ी को सौंप दें।
यह घटना एक गंभीर सवाल खड़ा करती है कि क्या क्रिकेट जैसे खेल में राजनीति का दखल दिया जाना चाहिए? क्रिकेट को हमेशा खेल भावना और सम्मान का प्रतीक माना गया है, लेकिन इस प्रकार के विवादों से इसे नुकसान हो सकता है। दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों ने इस घटना को नकारात्मक रूप में देखा है, क्योंकि यह खेल के आदर्शों के खिलाफ है।
जहां एक तरफ भारत और पाकिस्तान के बीच खेलों में हमेशा तनाव रहता है, वहीं खेल के मैदान पर ऐसी घटनाओं से सिर्फ नफरत और विवाद ही बढ़ता है। कुछ ने यह भी कहा कि यह कदम राष्ट्रीय गौरव को लेकर लिया गया होगा, लेकिन क्रिकेट एक खेल है और इसे खेल भावना से खेला जाना चाहिए, न कि राजनीतिक मंच बना दिया जाए।
सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूफान मचाया। भारतीय प्रशंसकों ने इसे लेकर नाराजगी जताई और मोहसिन नकवी के इस कदम को अनुशासनहीनता करार दिया। कुछ ने कहा, “क्रिकेट एक खेल है, इसमें राजनीति का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।” वहीं पाकिस्तान के कुछ प्रशंसकों ने इसे राष्ट्रीय गौरव के रूप में देखा और नकवी के इस कदम का समर्थन किया।
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इस विवाद को लेकर हजारों ट्वीट्स और पोस्ट्स सामने आए, जिसमें इस घटना को लेकर अलग-अलग राय रखी गई। वहीं कुछ लोग इसे “नौटंकी” भी करार दे रहे थे।
अब तक की जानकारी के अनुसार, ट्रॉफी को लेकर मामला अटका हुआ है। बीसीसीआई ने मोहसिन नकवी से ट्रॉफी देने की अपील की है, लेकिन एसीसी अध्यक्ष अपनी जिद पर कायम हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवाद से सिर्फ खेल की गरिमा को ठेस पहुंचती है, और इस पर दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों को मिलकर समाधान निकालना चाहिए।
यह घटना भारत-पाकिस्तान क्रिकेट रिश्तों पर एक महत्वपूर्ण प्रश्नचिन्ह छोड़ती है। क्रिकेट को राजनीति से दूर रखते हुए खेल भावना के साथ खेला जाना चाहिए। आने वाले समय में, दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों को मिलकर ऐसे विवादों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
मोहसिन नकवी का सूर्यकुमार यादव को एशिया कप ट्रॉफी सौंपने से इनकार करना एक राजनीतिक और अस्वीकार्य कदम था। क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे खेल भावना से बाहर ले जाया जाए। अब यह देखना होगा कि बीसीसीआई और एसीसी इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं और भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी जीत की ट्रॉफी कब मिलती है।