




भारत में 4 अक्टूबर 2025 से चेक क्लीयरेंस की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। अब चेक को प्रस्तुत करने के कुछ घंटों के भीतर निपटान किया जाएगा, जो पहले 1 से 2 कार्यदिवसों में होता था। यह परिवर्तन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा लागू किए गए नए नियमों के तहत हो रहा है, जिसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और गति लाना है।
इस नई प्रणाली के तहत, चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) का उपयोग किया जाएगा, जो चेक की छवि को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रसारित करता है, जिससे भौतिक दस्तावेजों के स्थानांतरण की आवश्यकता नहीं रहती। इससे न केवल प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि धोखाधड़ी की संभावना भी कम होगी।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद भी कुछ चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। जैसे कि बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं में भिन्नताएँ, चेक प्रस्तुत करने का समय, और अन्य तकनीकी कारक। इसलिए, चेक क्लीयरेंस में पूरी तरह से बदलाव आने में कुछ समय लग सकता है।
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ ग्राहकों को होगा, क्योंकि उन्हें अपने धन तक पहुँचने में कम समय लगेगा। इसके अलावा, व्यापारियों और व्यवसायों के लिए भी यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे नकदी प्रवाह में सुधार होगा और लेन-देन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
RBI के अनुसार, यह कदम डिजिटल बैंकिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इससे भारत की बैंकिंग प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा। इसके माध्यम से, भारत वैश्विक स्तर पर भी एक अग्रणी डिजिटल बैंकिंग हब के रूप में उभर सकता है।
इस बदलाव के बाद, ग्राहकों को चेक प्रस्तुत करते समय कुछ नई प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। जैसे कि चेक की छवि की गुणवत्ता, सही IFSC कोड का उल्लेख, और अन्य आवश्यक विवरणों की सहीता। इसलिए, ग्राहकों को इन नई प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक किया जाएगा।
कुल मिलाकर, 4 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाली यह नई चेक क्लीयरेंस प्रणाली भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इससे न केवल ग्राहकों को सुविधा होगी, बल्कि समग्र रूप से बैंकिंग प्रणाली की दक्षता में भी वृद्धि होगी।