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    कचरे में मिला खजाना: झारखंड के सतीश महतो ने किसानों के लिए बनाया 1 करोड़ सालाना टर्नओवर वाला प्लेटफॉर्म

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    झारखंड के रांची जिले के चिपरा गांव के सतीश महतो ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से किसानों के लिए एक नया रास्ता खोला है। 2016 में उन्होंने फीडको एग्रोकार्ट की स्थापना की। यह स्टार्टअप केवल किसानों को बाजार से जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके फसल अवशेषों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने का अवसर भी देता है। सतीश महतो ने अपने बचपन से ही किसानों की समस्याओं को करीब से देखा। उन्होंने महसूस किया कि अधिकांश किसानों के पास अपनी फसल सीधे बाजार तक पहुंचाने का विकल्प नहीं होता और फसल अवशेष प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन जाता है।

    सतीश ने अपनी शिक्षा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के अनुभव का लाभ उठाकर ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जो किसानों को सीधे बाजार से जोड़ सके। इस प्लेटफॉर्म के जरिए किसान अपने उत्पाद को सीधे खरीदारों तक बेच सकते हैं और अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं। केवल यही नहीं, फसल अवशेषों का सही प्रबंधन भी अब आसान हो गया है। इस नवाचार से न केवल किसानों की आय बढ़ी है बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजगार और नवाचार को भी बढ़ावा मिला है।

    फीडको एग्रोकार्ट की शुरुआत में सतीश महतो ने स्थानीय किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाई और उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म का महत्व समझाया। इसके बाद उन्होंने लॉजिस्टिक्स नेटवर्क तैयार किया, जिससे फसल को समय पर और सुरक्षित रूप से बाजार तक पहुंचाया जा सके। इस प्रक्रिया में तकनीकी साधनों और मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया गया।

    स्टार्टअप ने जल्दी ही किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली। किसानों के लिए यह प्लेटफॉर्म फसल बेचने के साथ-साथ उनके अवशेषों का प्रबंधन करने में भी मददगार साबित हुआ। कचरे में छिपे अवसर को पहचानकर सतीश ने किसानों के लिए एक ऐसा समाधान निकाला जिससे उनकी आय में सुधार हुआ। अब फीडको एग्रोकार्ट का सालाना टर्नओवर लगभग 1 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

    सतीश महतो का मानना है कि किसानों की समस्याओं को समझना और उनके लिए व्यावहारिक समाधान लाना ही असली नवाचार है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक दिनों में किसानों को डिजिटल तकनीक और ऑनलाइन लेनदेन में विश्वास दिलाना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने निरंतर प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और स्थानीय समुदाय के साथ संवाद करके यह बाधा पार की।

    फीडको एग्रोकार्ट ने न केवल रांची जिले बल्कि आस-पास के जिलों के किसानों के लिए भी अवसर पैदा किया। यह प्लेटफॉर्म उन्हें सीधे खरीदारों से जोड़ता है और उनके फसल अवशेषों का उपयोग उर्वरक और पशु आहार में करने के लिए बाजार उपलब्ध कराता है। इससे किसानों की लागत कम हुई और अतिरिक्त आय का मार्ग खुला।

    सतीश महतो की इस पहल ने स्थानीय समुदाय में नई ऊर्जा पैदा की है। ग्रामीण युवाओं ने स्टार्टअप में रोजगार के अवसर ढूंढे और कृषि नवाचार में भाग लिया। फीडको एग्रोकार्ट ने यह साबित कर दिया कि सही सोच, तकनीक और मेहनत से ग्रामीण भारत में भी बड़े पैमाने पर व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है।

    इस स्टार्टअप का सबसे बड़ा संदेश यह है कि चुनौतियों को अवसर में बदलना संभव है। किसानों की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान करके सतीश महतो ने न केवल अपने स्टार्टअप को सफल बनाया बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त किया। उनकी इस सफलता की कहानी स्टार्टअप इंडिया मिशन और ग्रामीण नवाचार के लिए प्रेरणा बन रही है।

    सतीश महतो का अनुभव यह दिखाता है कि यदि सही दिशा में मेहनत और योजना की जाए, तो छोटे गांव के लोग भी बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल सकते हैं। फीडको एग्रोकार्ट का मॉडल अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनाने योग्य है, जिससे किसानों की आय बढ़ सकती है और कृषि उत्पादन का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

    आने वाले वर्षों में सतीश महतो और उनका स्टार्टअप किसानों के लिए और भी नए समाधान लाने की योजना बना रहे हैं। उनका उद्देश्य न केवल आय बढ़ाना है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार और व्यवसाय के अवसर पैदा करना भी है।

    इस तरह, झारखंड के चिपरा गांव का यह स्टार्टअप किसानों के लिए एक मिसाल बन गया है। सतीश महतो ने अपने नवाचार, मेहनत और दूरदर्शिता से यह साबित कर दिया है कि अगर चुनौतियों को अवसर में बदला जाए, तो छोटे गांवों से भी बड़े व्यवसाय खड़े किए जा सकते हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है।

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