




भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हो रहे जनआंदोलनों पर पाकिस्तानी बलों की कड़ी कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान को PoK के निर्दोष नागरिकों पर हो रहे “भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों” के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष जवाब देना चाहिए।
पिछले कुछ दिनों से PoK के कई जिलों में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, जिनमें बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, और न्याय व्यवस्था प्रमुख हैं। पाकिस्तान की सरकार ने इन आंदोलनों को दबाने के लिए सुरक्षाबलों को तैनात किया है, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और गिरफ्तारियों का सहारा लिया।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मीरपुर, कोटली, रावलकोट और मुजफ्फराबाद जैसे क्षेत्रों में हजारों की संख्या में लोग पिछले सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। ये प्रदर्शन मुख्यतः निम्नलिखित मांगों को लेकर हो रहे हैं:
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बिजली और पानी की उपलब्धता
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भ्रष्टाचार पर रोक
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सरकारी सेवाओं तक समान पहुंच
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क्षेत्रीय भेदभाव को खत्म करना
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार PoK के नागरिकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है, और इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन हो रहा है, जबकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी जा रही हैं।
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा:
“पाकिस्तान द्वारा PoK के लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों और शांतिपूर्ण विरोध को कुचलने की घटनाएं मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं। यह चिंता का विषय है कि पाकिस्तान अपने ही नागरिकों की आवाज को बंदूक और बल से दबाने का प्रयास कर रहा है।”
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि PoK भारत का अभिन्न अंग है और वहां के लोगों के साथ हो रहा दमन भारत के लिए मानवीय चिंता का विषय है।
PoK से आ रही खबरों के मुताबिक:
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विरोध करने वाले लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया है
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कई स्थानों पर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है
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मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगाया गया है
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स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है
एक प्रदर्शनकारी ने कहा:
“हम सिर्फ अपने हक की बात कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान हमसे ऐसे व्यवहार कर रहा है जैसे हम दुश्मन हों।”
भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं से अपील की है कि:
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वे PoK में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों की तत्काल जांच करें
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एक तथ्य-खोज समिति (Fact-Finding Mission) भेजी जाए
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पाकिस्तान को चेताया जाए कि वह अपनी सेना और पुलिस के बल का दुरुपयोग बंद करे
PoK में हो रहे व्यापक विरोध के बावजूद:
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पाकिस्तानी मीडिया इन खबरों को या तो नजरअंदाज कर रहा है या उनका गलत चित्रण कर रहा है
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पाकिस्तानी सरकार ने अब तक इन प्रदर्शनों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है
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स्थानीय पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को धमकियां दी जा रही हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि:
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PoK में हो रही घटनाएं पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं
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पाकिस्तान खुद को “कश्मीर का संरक्षक” बताता रहा है, लेकिन अब जब अपने ही कब्जे वाले क्षेत्र में लोग उत्पीड़न की शिकायत कर रहे हैं, तो उसकी दोहरे मापदंड उजागर हो रहे हैं
भारत की संसद ने पहले ही 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि PoK भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान ने उस पर अवैध कब्जा कर रखा है।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह PoK में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को चुपचाप सहन नहीं करेगा।
विदेश मंत्रालय का यह बयान न केवल पाकिस्तान को एक राजनीतिक चेतावनी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी जागरूक और सक्रिय होने का संकेत है।